Chhattisgarh News: रायपुर में एक छत के नीचे चल रहे हैं 4- 4 कॉलेज, 3 साल से नहीं हुई परीक्षा, छात्रों को करनी पड़ी थाने में शिकायत
Chhattisarh News: शहडोल के श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज के बारे ये जानकारी मिली कि जबलपुर आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में उसकी मान्यता समाप्त कर दी गई है और ये कॉलेज मान्यता के लिए कोर्ट पहुंचा हुआ है.
Chhattisgarh News: एक छत के नीचे चार-चार कॉलेज का संचालन होना आपने अबतक नहीं सुना होगा, लेकिन ये छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में संभव हुआ है. यहां एक छत में 4 कॉलेज का संचालन हो रहा है. यही नहीं पिछले 3 साल से करीब 300 छात्रों की परीक्षा नहीं हुई है. हालांकि कॉलेज के संचालक हर साल छात्रों से कॉलेज की फीस लेते रहे. दरअसल रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थिति एक मकान में 2016-17 में साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज (Sainath Paramedical College) के नाम से कॉलेज खोला गया. यहां बच्चों को डीएमएलटी, एमएलडी, एमएमएलटी सर्टिफिकेट इन ओटी टेक्निशियन के नाम पर कोर्स का संचालन किया जा रहा था.
साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के छात्रों को बीते 3 साल से कोरोना और कोर्ट में मामला फंसा होना बताकर परीक्षा नहीं कराई गई. इस बीच जब स्कॉलरशिप के लिए फॉर्म भरवाया गया तो छात्रों का पता चला कि रायपुर के साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज की जगह मध्य प्रदेश के शहडोल के श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज में उनका नाम दर्ज है. इसके बाद कॉलेज प्रबंधन की तरफ से बताया गया कि परीक्षा मध्य प्रदेश में होगी. देखते-देखते 3 साल बीत गए, लेकिन परीक्षा अब तक नहीं हुई है. जब छात्रों को कॉलेज को लेकर शक हुआ तो उन्होंने मध्य प्रदेश के जबलपुर आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में जाकर पता किया, जहां ये मालूम हुआ कि साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज नाम से छत्तीसगढ़ में किसी कॉलेज को मान्यता नहीं दी गई है.
कोर्ट में है मामला
वहीं शहडोल के श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज के बारे ये जानकारी मिली कि जबलपुर आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में उसकी मान्यता समाप्त कर दी गई है और ये कॉलेज मान्यता के लिए कोर्ट पहुंचा हुआ है. प्रदेशभर से करीब 300 छात्र साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज में डॉक्टर बनने आए थे. लेकिन अब उन छात्रों को भी नहीं पता कि आखिर वे क्या पढ़ाई कर रहे हैं. छात्र नारायण प्रसाद ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि 3 साल से पढ़ाई हो रही है, अब समझ नहीं आ रहा है कि हम पढ़ रहे हैं या नही. हमे दूसरे कॉलेजों में बेचा जा रहा है.
छात्र जमा कर चुके हैं इतनी फीस
नारायण प्रसाद ने बताया कि 70 हजार रुपये हर साल के हिसाब से फीस जमा कर चुके हैं. अभी तक एक भी एग्जाम नहीं हुआ है. शुरुआत में साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के नाम से एडमिशन हुआ. जब परीक्षा की बारी आई तो प्रबंधक बोलते हैं कि श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज के नाम से एडमिशन हुआ है. लेकिन उस कॉलेज को भी मध्य प्रदेश के जबलपुर आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में मान्यता नहीं मिली है.
छात्रों ने दर्ज कराई शिकायत
छात्रों ने बताया कि एडमिशन साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के नाम से हुआ है. लेकिन स्कॉलरशिप और एग्जाम के लिए मीनाक्षी, चिप्स, साईनाथ पैरामेडिकल, श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज के नाम से आवेदन करने को कहा गया, उसमें भी हमरा एनरोलमेंट नहीं हुआ. छात्रों ने बताया, "कोर्ट में केस परीक्षा के लिए नहीं श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज शहडोल के लिए लड़ रहे हैं. जब हंगामा हुआ तो प्रबंधक ने हम लोगों को प्रपोजल दिया है कि 2022 में हम आपका दो एग्जाम करा देंगे. 2023 में फाइनल का रिजल्ट देकर आपकी पढ़ाई पूरी करा देंगे. उनके प्रपोजल को हम नहीं माने तो हमारे परिजनों के सामने हमें धमकाया गया. जान से मारने की भी धमकी दी गई. इसके बाद गुरुवार को टीकरापारा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है."
कॉलेज संचालक ने आरोपों पर दी ये सफाई
छात्रों के 3 साल तक एग्जाम नहीं होने को लेकर एबीपी न्यूज़ ने संचालक नरेंद्र पांडेय से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते परीक्षा नहीं हो पाई है. वहीं मान्यता को लेकर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पैरामेडिकल काउंसलिंग और जबलपुर आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में 200 के ऊपर कॉलेज हैं, उसमें से एक श्री रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज भी है, जो यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है. इसके बाद साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज में छात्रों की फर्जी तरीके से एडमिशन के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम कॉलेज नहीं कोचिंग सेंटर चला रहे हैं. सभी शहडोल पैरामेडिकल कॉलेज के छात्र है. साथ ही छात्रों की फीस वापसी के सवाल पर उनका कहना था कि यहां से कलेक्शन करके मध्य प्रदेश भेजा जाता है. इसके अलावा परीक्षा को लेकर नरेंद्र पांडेय ने कहा कि मामल कोर्ट में चल रहा है और अभी कुछ कहना संभव नहीं है.
एनएसयूआई ने कॉलेज को बताया फर्जी
गुरुवार के छात्रों के साथ कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने कॉलेज का घेराव किया. इस दौरान एनएसयूआई ने छात्रों ने कहा, "रायपुर में फर्जी तरीके से साई पैरामेडिकल कॉलेज चलाया जा रहा है. मध्य प्रदेश जाने पर बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में कोई कॉलेज संचालन नहीं किया जा रहा है. डीएमआई से कोई परमिशन नहीं ली गई है. फीस साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के नाम से ली जा रही है. लेकिन परीक्षा के लिए रामचंद्र पैरामेडिकल कॉलेज बताया जा रहा है. हमारी मांग है कि साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज पर 420 का मामला दर्ज हो."
छात्रों से बनवाया जाता था खाना
साईनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में केवल 2 कमरे हैं. जहां छात्र खुद खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर और बर्तन लेकर आए थे. रोज खाना छात्र ही बनाते हैं. कॉलेज प्रबंधन की तरफ से केवल बेड और गद्दा दिया गया है. छात्रों ने बताया, "शुरुआत में आए थे, तब 20 से 22 लोग यहीं पर रहते थे, जमीन पर सोते थे. एक-एक बेड के लिए 1500 रुपये का फीस लिया जाता था. जब कोरोना के समय छात्र फीस जमा नहीं कर सके तो उनका समान हॉस्टल से बाहर फेंक दिया गया. यहीं नहीं छुट्टी में छात्र घर जाते थे तो उनका समान चोरी हो जाता था. गैस सिलेंडर समेत छात्रों के कपड़े तक चोरी हो जाते थे. छात्रों ने बताया कि मकान के ग्राउंड फ्लोर में महंगी समान है, उसकी चोरी नहीं हुई, केवल हमारे खाना बनाने के समान चोरी हो गए.
पुलिस ने कही ये बात
दूसरी तरफ टीकरापारा थाने के प्रभारी संजीव मिश्रा ने बताया कि गुरुवार को छात्रों ने शिकायत दर्ज कराई है. आज संचालक को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. संचालक ने बताया है कि जबलपुर में कॉलेज का रजिस्ट्रेशन है. इसलिए पुलिस ने जबलपुर यूनिवर्सिटी से संपर्क कर रही है. कागजात मिलने के आधार पर अपराध दर्ज किया जाएगा. छात्रों का फीस किसके अकाउंट में जाता था. इसके बारे जानकारी ली जा रही है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद अपराध दर्ज किया जाएगा.
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