Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में सरकारी अस्पतालों में पिछले दो सालों से सेवा दे रहे 600 संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. जिसके बाद अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है. आलम यह है कि वार्डों में नर्स और वार्ड बॉय नहीं होने से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल कुछ दिन पहले प्रशासन ने DMFT फंड में पैसा नहीं होने का हवाला देते हुए एक साथ 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है,जिसके बाद यह सभी संविदा कर्मचारी अस्पताल के सामने धरने पर बैठ गए मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन में डटे हुए हैं. 


ढाई साल से दे रहे थे सेवा
दरअसल साल 2018 में बस्तर जिला प्रशासन ने DMFT फंड के माध्यम से संविदा कर्मचारियों की सरकारी अस्पतालों में नियुक्ति की थी, जिसमें 380 कर्मचारी बस्तर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल डीमरापाल में और 200 कर्मचारी महारानी अस्पताल और साथ में अन्य कर्मचारी स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों में अपनी सेवा दे रहे थे. लेकिन कुछ ही दिन पहले बस्तर कलेक्टर ने बैठक लेकर अस्पताल अधीक्षक को सभी कर्मचारियों को निकालने का आदेश दिया. इसके पीछे उन्होंने डीएमएफटी में इन कर्मचारियों को मानदेय देने के लिए पैसे नहीं होने का हवाला दिया.


पैसे नहीं होने की बिना पर निकाला
हालांकि 30 दिसंबर तक इनसे सेवा लेने के आदेश दिए थे लेकिन हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि उनके पास कोई लिखित में जानकारी नहीं आई और पिछले डेढ़ माह का वेतन भी उनको नहीं दिया गया है. कर्मचारियों का आरोप है कि जिला प्रशासन के पास अन्य शासकीय कार्यो के लिए DMFT फंड में पर्याप्त पैसे हैं, लेकिन बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में सबसे जरूरी स्वास्थ्य सेवा के लिए फंड नहीं होने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक साथ 600 कर्मचारियों को निकाले जाने से अब उनके रोजी-रोटी पर बन आई है और ऐसे में परिवार चलाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है. 


उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
संविदा कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें वापस काम पर लिया जाए साथ ही पूरे कर्मचारियों को आगामी दिनों में होने वाले स्वास्थ विभाग के विभिन्न पदों पर भर्ती प्रक्रिया में पहले प्राथमिकता दी जाए. कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उन्हें वापस काम पर नहीं लिया जाता तब तक वे अस्पताल के सामने आंदोलन में डटे रहेंगे. साथ ही आगामी दिनों में उग्र आंदोलन भी करेंगे. 




अस्पताल की जरूरी सेवा प्रभावित
इधर एक साथ 600 कर्मचारियों के आंदोलन में चले जाने से अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो चुकी है. अस्पताल के सभी वार्ड स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय के अभाव में सूने पड़े हैं. साथ ही मरीजों को इमरजेंसी सेवा भी नहीं मिल पा रही है. यही नहीं डीएमएफटी फंड से लैब टेक्नीशियन, डायलिसिस मशीन टेक्निशियन, सीटी स्कैन टेक्निशियन और कोरोना जांच में भी इस संविदा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है. ऐसे में सभी को नौकरी से निकाल दिए जाने से अस्पताल की जरूरी सेवा भी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है और मरीज और उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


डीएमएफटी फंड में पैसो की कमी
वहीं इस मामले में अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि डीएमएफटी फंड बस्तर कलेक्टर के अधीन है और उनके आदेश अनुसार ही इन कर्मचारियों को निकालने की कार्रवाई की गई है. अस्पताल अधीक्षक टीकू सिन्हा का भी मानना है कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है. वर्तमान में इस संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में केवल 158 स्टाफ नर्स और 148 वार्ड बॉय हैं. ऐसे में पूरे अस्पताल में हर मरीजों को स्वास्थ्य सेवा देना मुमकिन नहीं है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन अपने तरीके से मरीजों के लिए व्यवस्था कर रहा है, लेकिन 600 कर्मचारियों के हटाए जाने से निश्चित तौर पर दोनों अस्पताल और ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधा में काफी प्रभाव पड़ा है.


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