Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर सीमा से लगे बधियाचुआं, गंझाडांड़, लालमाटी क्षेत्र में पिछले पांच दिनों से विचरण कर रहे हाथियों के समूह में हाथियों की संख्या 27 नहीं, बल्कि 33 है. यह खुलासा सरगुजा वनमंडलाधिकारी (DFO) टी. शेखर ने कल ड्रोन की मदद से हाथियों के संख्या जानने के बाद किया है. बड़ी संख्या में हाथियों के शहर के समीप मौजूदगी को लेकर वन विभाग ने हाथियों को जंगल क्षेत्र में सीमित रखने और उन्हें जंगल के रास्ते से उनके आने वाले मार्ग से ही वापस लौटाने पूरी ताकत झोंक दी है.
मंगलवार की सुबह हाथियों का यह समूह अंबिकापुर-रायगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) में लालमाटी के समीप पहुंच गया था, जिससे लगभग आधे घंटे से भी अधिक समय तक मार्ग में आवागमन बाधित रहा. हाथी विचरण क्षेत्र वाले गांवों में संचालित स्कूलों को भी बंद कर दिया है और पहाड़ी कोरवा परिवार के सर्वे पर भी रोक लगा दिया गया है. कल पूरे दिन हाथियों का दल बधियाचुआं और एंझाडांड़ के घने जंगल में रहने के बाद रात लगभग साढ़े सात बजे लालमाटी के समीप पहुंच राष्ट्रीय राजमार्ग को पार कर दूसरी ओर चला गया. जहां 33 हाथियों के दल ने किसानों के खेत में लगे गन्ना, साग-सब्जी के फसल को पूरी तरह चट कर दिया.
फिर से लौटा हाथियों का गुट
हाथियों के यहां पहुंचने के साथ ही आसपास के सभी गांव के लोग अपनी-अपनी सीमाओं पर एकत्रित हो गए और हाथियों को अपने गांव की ओर न आने देने आग जला और पटाखा फोड़कर उन्हें दूर रखने का प्रयास करते रहे. हाथियों के एनएच पार करने के बाद वन विभाग को उम्मीद थी कि हाथी अब अपने पुराने मार्ग से वापस लौट जाएंगे, लेकिन ग्रामीणों के शोर शराबे और पटाखा फोड़ने से यह सफल नहीं हो पाया और प्रातः आठ से नौ के बीच हाथियों का दल पुनः एनएच को पार कर गंझाडांड़ की ओर जंगल में प्रवेश कर गया.
वन, पुलिस व हाथी मित्र दल की टीम कर रही निगरानी
सरगुजा वनमंडलाधिकारी टी. शेखर ने बताया कि वन विभाग द्वारा हाथियों की निगरानी के लिए छह टीम गठित की गई है, जिसमें वन, पुलिस और हाथी मित्र दल के सदस्य शामिल हैं. इस टीम के सदस्यों के अलावा हाथियों की निगरानी के लिए ड्रोन की भी मदद ली जा रही है और हाथियों को उनके आने वाले मार्ग से ही वापस लौटाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन वर्तमान में मार्ग बाधित होने के कारण हाथियों का दल गंझाडांड़, लालमाटी और सुमेरपुर वनक्षेत्र में ही विचरण कर रहा है.
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