Ambikapur: पशुपालकों की लापरवाही से खुले में घूम रहे लंपी पीड़ित मवेशी, अस्पताल पहुंचाने में प्रशासन के छूटे पसीने
Lumpy Virus: छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में लंपी वायरस से पीड़ित जानवरों को खुले में घूमता हुआ देखा जा रहा है. लोगों का आरोप है कि पशु चिकित्सा विभाग इनको लेकर कोई सर्वे नहीं करा रहा है.
Ambikapur News: लापरवाह पशुपालकों के चलते अम्बिकापुर (Ambikpur) शहर के मवेशियों (Stray Cattles) में संक्रामक बीमारी लंपी (Lumpy) फैलने का खतरा बढ़ रहा है. शहर में लंपी से पीड़ित मवेशी खुलेआम घूम रहे हैं. आज शहर के श्री राम हॉस्पिटल गली सत्तीपारा में नागरिकों द्वारा लंपी पीड़ित मवेशी देखे जाने की सूचना दी गई लेकिन सूचना के करीब 45 मिनट बाद पशु चिकित्सा विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे लेकिन लंपी पीड़ित मवेशी के नहीं मिलने के कारण उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.
पशु चिकित्सा विभाग के रेस्क्यू टीम की लापरवाही से नागरिकों में रोष भी देखा जा रहा है. नागरिकों कहना है कि पशुपालकों के समान ही पशु चिकित्सा विभाग भी लापरवाही बरत रहा है. न तो ऐसे मवेशियों की पहचान के लिए कोई सर्वे या निरीक्षण किया जा रहा है और न ही कोई विशेष पहल की जा रही है. पीड़ित मवेशियों के संपर्क में आने से दूसरे मवेशियों में इस बीमारी के फैलने की संभावना है. पशुपालकों को सतकर्ता बरतने की सलाह दी जा रही है. मगर पशु पालकों के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है. लंपी बीमारी से पीड़ित मवेशी अन्य मवेशियों के झुंड में जाकर बैठ रहे हैं.
बचाव के लिए हो रहा टीकाकरण
इस संबंध में पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक बीपी सतनामी ने बताया कि लंपी एक संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी से त्वचा में कई गांठ बन जाते हैं. इससे बचाव के लिए विभाग के द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. कहीं भी लंपी पीड़ित मवेशी होने की सूचना मिल रही है तो रेस्क्यू टीम के द्वारा टीकाकरण करने के साथ ही मवेशी को पशु चिकित्सालय लाया जा रहा है. जहां विशेष देखरेख में उपचार किया जा रहा है.
दुर्घटना का भी कारण बन रहे हैं मवेशी
अम्बिकापुर शहर के प्रमुख मार्गों में विचरण करने वाले मवेशी दुर्घटनाओं का भी कारण बन रहे हैं. निगम प्रशासन की लापरवाही के कारण शहर की सड़कें गौठान में तब्दील हो गई हैं. पशुपालकों के द्वारा मवेशियों को खुला छोड़ा जा रहा है. निगम प्रशासन के द्वारा कारवाई कर प्रावधान किए जाने के बावजूद पशुपालकों पर कारवाई नहीं किए जाने से स्थिति जस की तस हैं.