Amendment made in registry process: अक्सर लोगों को अपनी जमीन या घरों की रजिस्ट्री कराने के लिए कई बार पटवारी कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस प्रक्रिया में कभी-कभी महीनों का वक्त लग जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जनता की परेशानी को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर नामांतरण की प्रक्रिया को सरल एवं समयबद्ध बनाया गया है.
इसके लिए छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता के प्रावधानों में संशोधन किए गए हैं. संशोधन के अनुसार अब ट्रांसफर का आवेदन प्राप्त होने के 07 दिवस के भीतर पटवारी जांच प्रतिवेदन संलग्न कर ई-नामांतरण पोर्टल के माध्यम से प्रतिवेदन अग्रेषित करेंगे. पटवारी द्वारा विलंब किए जाने पर प्रकरण खुद ही ऑटोमेटिक तरीके से आगे बढ़ जाएगा.
एसएमएस के जरिए हितग्राहियों को दी जाएगी सूचना
हितग्राहियों को ट्रांसफर प्रक्रिया के दौरान एसएमएस से सूचना भेजी जाएगी. तहसीलदार द्वारा पक्षकारों को सूचना जारी करने तथा दावा आपत्ति आमंत्रित करने के लिए भी समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है. इसी प्रकार अविवादित नामांतरण के प्रकरण का निर्धारित समयावधि में निराकरण नहीं होने पर संबंधितों के विरूद्ध छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे.
ये किया गया नया संशोधन
वर्तमान में किए गए संशोधन के अनुसार नियमों में भूमि स्वामी को पंजीयन के समय ही ट्रांसफर के विषय में ग्राम पंचायत या तहसील कार्यालय का विकल्प दिया गया है. भूमि स्वामियों को एसएमएस के माध्यम से उनके मोबाइल फोन पर सूचना भी प्रदान की जाएगी. पंजीयन के तत्काल बाद, इसकी सूचना तुरंत संबंधित हल्का पटवारी राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार की ऑनलाइन आईडी पर भेज दी जाएगी.
इस सूचना पर पटवारी के द्वारा सात दिन के भीतर जांच प्रतिवेदन संलग्न कर इसे अग्रेषित किया जाएगा. पटवारी द्वारा विलंब किए जाने पर प्रकरण स्वतः अग्रेषित हो जाएगा. तहसीलदार द्वारा आम सूचना हेतु इश्तेहार प्रकाशित किया जाएगा, जिससे 15 दिन के भीतर दावा आपत्ति प्रस्तुत किए जा सकेंगे. उसके बाद आदेश पारित किया जाएगा, जिसके पालन में बी-वन, खसरा, नक्शा एवं किसान किताब को अद्यतन करके सत्यापित किया जाएगा.
इसकी सूचना भी हितग्राही को एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी. लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत प्रावधानित समय सीमा से बाहर होने पर, उक्त प्रकरण की सूचना हितग्राही को और पीठासीन अधिकारी को एसएमएस के माध्यम से प्राप्त हो सकेगी. इस विषय में राज्य सरकार ने सभी संभाग आयुक्त एवं कलेक्टर को आवश्यक निर्देश भी प्रसारित किए हैं.
हर सप्ताह ली जाएगी समीक्षा बैठक
ट्रांसफर के प्रकरणों की प्रत्येक सप्ताह समीक्षा की जाएगी. राजस्व पखवाड़े का आयोजन कर हितग्राहियों को अद्यतन अभिलेख की प्रति प्रदान की जा सकेगी. गिरदावरी के समय राजस्व अभिलेख को ग्राम वार पढ़कर सुनाया भी जाएगा. नामांतरण की प्रक्रिया को सरल एवं समयबद्ध करने की दिशा में राज्य शासन द्वारा यह महत्वपूर्ण संशोधन किया गया है.
पहले रजिस्ट्री के समय आती थी यह समस्या
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के तहत भूमि स्वामियों को अपनी भूमि की खरीद, बिक्री आदि के माध्यम से अंतरण करने का अधिकार है. संयुक्त परिवार के विभाजन के फल स्वरुप भी स्वामित्व में परिवर्तन होता है. भूमि स्वामी द्वारा भविष्य में होने वाले पारिवारिक विवाद के निराकरण हेतु भी अपने जीवन काल में ही बटवारा भी किया जाता है. भूमिस्वामी की मृत्यु होने पर भी अभिलेख में सुधार की जरूरत होती है. इन समस्त परिस्थितियों में भूमि से संबंधित राजस्व अभिलेखों को अद्यतन करना आवश्यक होता है. राज्य की इस जिम्मेदारी के प्रति राजस्व विभाग संवेदनशील है.
अब तय समय सीमा पर होगी रजिस्ट्री
कई बार देखा गया है कि राजस्व विभाग को भूमि ट्रांसफर से संबंधित जानकारी देने के बाद भी भूमि स्वामियों के भूमि अंतरण संबंधित सेवाओं में समय सीमा के भीतर कार्रवाई नहीं होती. इसे ध्यान में रखते हुए नामांतरण के नियमों में संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई.
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