Raigarh News: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हाथियों का उत्पात रोकने के लिए जहां धरमजयगढ़ वन मंडल के अधिकारी कई प्रकार की कार्ययोजना को अमलीजामा पहना चुके हैं. वहीं लेमरू प्रोजेक्ट के तहत अब जंगलों में बम्बू योजना की तरह कंजर्वेशन प्लांट बांस के जंगल बनाने का फैसला किया है. ताकि हाथी अपने पसंदीदा भोजन खाने में ही उलझे रहे और किसानों के खेतों की ओर रुख न करे. इसके लिये विभाग जंगलों में बांस के बीज छिड़कने का काम भी शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि लेमरू प्रोजेक्ट के तहत धरमजयगढ़ वन मंडल के अफसर हाथी कॉरिडोर में आने वाले कापू, बोरो तथा धरमजयगढ़ रेंज के जंगलों में बांस उगाने का भी फैसला किया है. 


इसके तहत वहां के जंगलों में बांस के बीज का छिड़काव किया जा रहा है ताकि हाथी अपने पसंदीदा भोजन खाने में ही व्यस्त रहे और किसानों की फसलों की ओर रुख न करें.. इस मामले में सूत्रों की माने तो विभागीय अफसर इसके लिये लेमरू प्रोजेक्ट के तहत उन क्षेत्रों का चुनाव भी कर लिया गया है. जहां पर लेमरू प्रोजेक्ट के तहत हाथियों के लुत्फ उठाने के लिये तालाब, कोठा व खाद्य पदार्थों के अन्य कार्यों की रूपरेखा पर पिछले दो सालों से काम चल रहा है.


हो चुका है टेंडर


विभागीय सूत्रों की मानें तो लेमरू प्रोजेक्ट के तहत हाईमा क्लाड से लेकर सायरन सिस्टम तथा सोलर फेंसिंग व लाइट लगाने के सभी प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है. इसमें टेंडर भी हो जाने की बात कही जा रही है.


गांवों का हो चुका है चयन


इसके अलावा विभाग हाथियों को गांव में घुसने से रोकने के लिये सोलर सिस्टम लगाने की भी योजना बनाई गई है. इसके लिए विभाग ने धरमजयगढ़ एवं छाल के 5 गांव का चुनाव किया है. जिसमें सोलर फेंसिंग किया जायेगा. खास बात यह है कि इससे हाथी गांव के नजदीक नहीं आ पाएंगे और सायरन सिस्टम ऑन हो जायेगा. धरमजयगढ़ एसडीओ बाल गोविंद साहू ने बताया कि हाथियों के उत्पात कम करने के लिए लेमरू प्रोजेक्ट के तहत उन इलाकों में बांस का बीज का छिड़काव किया जाएगा जहां काम चल रहे है. इसमें कापू, बोरो व धरमजयगढ़ रेंज के जंगल शामिल है.


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