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Urvashi Baghel Story: खेल-खेल में मुश्किल हालात से निकल सरगुजा की बेटी ने बदली अपनी तकदीर, अब रेलवे ने दी नौकरी

Basketball Player Urvashi Baghel Story: छत्तीगढ़ के सरगुजा की उर्वशी बघेल ने पिता के निधन के बाद मुफलिसी में जिंदगी गुजरी. बास्केटबॉल के मेडल और मेहनत ने उन्हें रेलवे में नौकरी दिला दी.

Urvashi Baghel Inspirational Story: जिंदगी में कोई भी काम करने के लिए मेहनत जरूर लगती है. चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक. हां, मेहनत का परिणाम कई बार देर से मिलता है लेकिन मिलता जरूर है. सफलता प्राप्त करने का आधार ही मेहनत है. जितनी ज्यादा मेहनत करेंगे उतने ज्यादा सफल होते रहेंगे. ये सब शब्द हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के सरगुजा की बेटी ने बचपन से मुफलिसी में जिंदगी गुजारी लेकिन आज अपनी मेहनत, लगन और कठोर परिश्रम के दम पर वह एक अच्छे मुकाम पर पहुंच गई है और अपने परिवार के साथ-साथ अपने जिले का नाम भी रोशन किया है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के सोनतरई गांव की रहने वाली उर्वशी बघेल ने 2022 में जूनियर नेशनल अंडर-18 बास्केटबॉल प्रतियोगिता में कैप्टन की भूमिका निभाई और कांस्य पदक हासिल किया. इसके बदौलत खेल कोटे से उर्वशी को रेलवे विभाग ने ग्रुप सी में नौकरी दी है. बता दें कि उर्वशी के पिता चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे. इनका परिवार आधुनिक दुनिया के मायाजाल से दूर सामान्य तरीके से जीवन यापन करता था. तब 2013 में उर्वशी ने खेल के प्रति रुचि दिखाई और अम्बिकापुर में बास्केटबॉल क्लब ज्वाइन किया. जहां कुछ समय तक सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन इस बीच 2013 में उसके पिता का निधन हो गया और जीवन परेशानियों से घिर गया. जिसके बाद उसे कुछ दिनों के लिए क्लब छोड़ना पड़ा. मां को पेंशन मिलती थी, उसी से घर चलता था. 

ऐसा रहा सफर

समय बीतने के साथ कुछ हालात सुधरे तो उर्वशी ने 2015 में फिर से बास्केटबॉल क्लब ज्वाइन किया और बीते पलों और आने वाली मुश्किलों को खुद पर हावी नहीं होने दिया. पूरी लगन के साथ खेल पर ध्यान एकाग्रचित कर एक के बाद एक लगातार सफलता हासिल की. उन्होंने अम्बिकापुर में बेहतर खेल सुविधाओं की कमी होने की वजह से दुर्ग जिले के भिलाई में जाकर ट्रेनिंग ली. इसके बाद 2015 में अंडर-14 में गोल्ड मेडल हासिल किया और 2016 में अंडर-14 की कैप्टन रहीं और गोल्ड मेडल हासिल किया. 2016 में अंडर-17 में फोर्थ प्लेस मेडल मिला. इसके बाद 2018 में अंडर-17 में वह कैप्टन रहीं. जहां अच्छा खेल प्रदर्शन करने पर 2019 में इंडिया कैंप में सिलेक्शन हुआ लेकिन कोविड के कारण टूर्नामेंट टालना पड़ा. वहीं, 2016 में खेलो इंडिया कैंप में भी शामिल हुईं.

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2022 में मिला कांस्य पदक

2022 उर्वशी के लिए टर्निंग प्वाइंट रहा. उर्वशी ने 2022 में जूनियर नेशनल अंडर-18 में छत्तीसगढ़ बास्केटबॉल टीम का कैप्टन के रूप में प्रतिनिधित्व किया और कास्य पदक हासिल किया. जिसके बदौलत रेलवे विभाग ने खेल कोटे से उन्हें बिलासपुर रेलवे जोन में ग्रुप सी की नौकरी दी है. बता दें कि बिलासपुर रेलवे जोन में खेल कोटे से 18 खिलाड़ियों का चयन हुआ है.


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कोच ने रेल मंत्री से मांग की

बास्केटबॉल खिलाड़ी से रेलवे कर्मचारी तक का सफर तय करने वाली उर्वशी बघेल के प्रशिक्षक राजेश प्रताप सिंह ने कहा कि इससे पहले एक और लड़की का चयन रेलवे में हुआ है लेकिन वहां रेलवे के जिस डिपार्टमेंट में खेल कोटा के खिलाड़ियों को ज्वाईनिंग दी जाती है, उसमें ऐसे कार्य कराए जाते हैं जिससे खिलाड़ी कभी भी चोटिल हो सकता है और उसे अभ्यास का समय नहीं मिलता है. इससे खेल कोटा में लेने का उद्देश्य भी पूरा नहीं होता है और खिलाड़ी खेल कर प्रमोशन भी नहीं ले पाता है. इसलिए कोच राजेश प्रताप सिंह ने रेल मंत्री से अपील की है कि खेल कोटा वाले खिलाड़ियों को ऐसे विभाग में रखे जहां उनके पास खेल अभ्यास का समय रहे और खेल कर मेडल लाकर वो प्रमोशन भी ले सकें. गौरतलब है कि धोनी की फिल्म में भी इस परेशानी को प्रमुखता से उठाया गया था.

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