Bastar News: बस्तर में पहली बार होगी भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति से खेती, किसानों को विभाग देगा प्रोत्साहन राशि
बस्तर में पहली बार लगभग 5 हजार किसानों ने अपने 7 हजार हेक्टेयर खेत में प्राकृतिक खेती करने का संकल्प लिया है. प्राकृतिक खेती करनेवाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने योजना बनाई है.
Natural Farming in Bastar: छत्तीसगढ़ में बस्तर के किसान भी अब धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की ओर शिफ्ट हो रहे हैं. हजारों किसानों ने परंपरागत खेती में रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) का उपयोग नहीं करने का संकल्प लिया है. किसान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूक भी हो रहे हैं. बस्तर में पहली बार लगभग 5 हजार किसानों ने अपने 7 हजार हेक्टेयर खेत में प्राकृतिक खेती करने का संकल्प लिया है. कृषि विभाग भी किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. किसानों को प्रति हेक्टेयर 2 हजार रुपये देने की योजना बनाई गई है. राशि किसानों के खाते में जमा कराई जाएगी. प्राकृतिक खेती के लिए धान मक्का, कोदो, कुटकी, रागी, तिल और रामतिल के साथ अन्य कई फसलों को शामिल किया गया है.
5 हजार किसानों ने अपनाया प्राकृतिक खेती पद्धति
कृषि विभाग जैविक मिशन के तहत बस्तर के किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जागरूक कर रहा है. बस्तर में पहली बार 5 हजार से अधिक किसानों ने रासायनमुक्त खेती (Chemical Free Farming) करने का संकल्प लिया है. किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रशिक्षण (Training) भी दिया गया है. आने वाले दिनों में किसान भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (Indian Natural Farming System) के अनुसार खेती करेंगे. बस्तर के किसानों को रासायनिक खेती (Chemical Farming) से छुटकारा दिलाने के लिए कृषि विभाग (Agriculture Department) ने हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है.
कृषि विभाग के उप संचालक एसएस सेवता ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले भर में विशेष अभियान चलाया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती की ओर शिफ्ट हो सकें. अधिकारी ने बताया कि प्राकृतिक खेती में किसान रसायनिक खाद और कीटनाशकों (Chemical Fertilizer and Pesticides)का उपयोग नहीं करेंगे और योजना कुछ ही महीने में शुरू होने वाली है. उन्होंने कहा कि शुरुआती तौर पर लगभग 5 हजार किसानों के साथ 7 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही सभी किसानों को प्रति हेक्टेयर 2 हजार रुपए दिए जाने की भी योजना बनाई गई है.
अधिकारी ने बताया कि प्राकृतिक खेती करने से किसानों को भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होने के साथ सिंचाई अंतराल बढ़ेगा और रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत भी कम आएगी. इसके अलावा फसलों की उत्पादकता में भी तेजी से वृद्धि होगी और बाजार में जैविक उत्पादों की मांग (Organic Product Demand) बढ़ने से किसानों की आय भी बढ़ेगी.
किसानों को प्रति हेक्टेयर 2 हजार देने की योजना
प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे योजना के प्रभारी बीआर प्रसाद ने बताया कि किसानों को प्रोत्साहन राशि 2 हजार रुपये देने के अलावा बीज और खाद के लिए अलग से कोई पैसा नहीं मिलेगा. अधिकारियों का कहना है कि प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के तौर पर गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम के जरिए पौधों को पोषक तत्व दिए जा सकते हैं. प्राकृतिक खेती के लिए प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं मित्र कीट और जैविक कीटनाशक के जरिए फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जा सकता है.