Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का बस्तर पिछले चार दशकों से नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहा है. पिछले चार दशकों में न जानें नक्सलियों से लड़ते-लड़ते कितने जवानों की शहादत हुई है और सैकड़ों की संख्या में आम नागरिक भी मारे गए हैं. यही नहीं नक्सलियों ने कई जनप्रतिनिधियों को भी मौत के घाट उतारा है. कहा जाता है कि नक्सलियों की कोई लाल डायरी होती है अगर उस लाल डायरी में किसी का नाम चढ़ जाए तो नक्सली मौका देखकर उसकी हत्या कर देते हैं.


यही वजह है कि सलवा जुडूम के नेताओं से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नक्सली पिछले चार दशकों से हत्या कर रहे हैं. साल 2023 में ही अब तक नक्सलियों ने दो बीजेपी नेताओं की हत्या कर दी है. 


पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले चार दशकों में 1,500 से ज्यादा नक्सल हिंसा में आम नागरिक मारे गए हैं, जिनमें 100 से अधिक जनप्रतिनिधि शामिल हैं. वहीं बस्तर संभाग में कुछ ऐसे जनप्रतिनिधि भी हैं जो कई बार नक्सलियों के मौत के मुंह से बचकर बाहर निकले हैं. इसके बाद उन्हें सुरक्षा के तौर पर Y और Z प्लस श्रेणी की सिक्योरिटी भी दी गई है. जानकारी के मुताबिक बस्तर में ही नक्सल प्रभावित इलाकों में सबसे ज्यादा नेताओं को Y और Z प्लस श्रेणी की सिक्योरिटी दी गई है.


लगातार जनप्रतिनिधियों की कर रहे हत्या
नक्सलियों से लोहा लेने के लिए 2005 में शुरू हुई सलवा जुडूम अभियान में नक्सलियों और सलवा जुडूम के बीच खूनी संघर्ष शुरू हुआ. अगले तीन सालों में कई सलवा जुडूम के लोग मारे गए तो कई नक्सलियों को भी सलवा जुडूम में शामिल लोगों ने मौत के घाट उतार दिया. हालांकि, साल 2008 में सलवा जुडूम बंद हो गया, जिसके बाद सलवा जुडूम से जुड़े जितने भी लोग और नेता थे नक्सलियों ने ऐसे लोगों का टारगेट करना शुरू किया और कुछ सलवा जुडूम नेताओं की हत्या भी कर दी. यही नहीं लोकतंत्र के दुश्मन रहे नक्सलियों ने बस्तर संभाग के सभी जिलों में कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी मौत के घाट उतारा. खासकर गांव-गांव में सरपंचों की हत्या करने के साथ दंतेवाड़ा के बीजेपी विधायक को भी नक्सलियों ने नहीं छोड़ा. 


झीरम घाटी में कांग्रेस की पूरी एक पीढ़ी खत्म
इसके अलावा बीजापुर के विधायक रहे महेश गागड़ा और बस्तर सांसद रहे दिनेश कश्यप समेत ऐसे कई जनप्रतिनिधि है जिन पर नक्सलियों ने जानलेवा हमला किया और इसमें वे बाल-बाल बच गए. यही नहीं 2013 में हुए झीरम घाटी हमले में नक्सलियों ने उस वक्त कांग्रेस के एक पीढ़ी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया. बीजेपी हो या कांग्रेस या फिर किसी अन्य राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधि नक्सली सभी की हत्या करते आ रहे हैं और यह खूनी संघर्ष बंद होने का नाम नहीं ले रहा है.


पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार दशकों में जब से बस्तर में नक्सलवाद शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक 1,500 आम नागरिक मारे गए हैं और इसमें 100 से ज्यादा जनप्रतिनिधि शामिल हैं. हालांकि कई जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जो कई बार नक्सलियों के निशाने पर आए, लेकिन अपने सूझबूझ से बाल-बाल बच गए.


जनप्रतिनिधियों के सुरक्षा का रखा जरा ख्याल
बस्तर आईजी ने बताया कि जिन जनप्रतिनिधियों को नक्सलियों से ज्यादा खतरा है वैसे लोगों को जिला पुलिस बल के द्वारा Y और Z प्लस श्रेणी की सिक्योरिटी दी गई है. इसके अलावा बस्तर में पूर्व विधायकों के साथ बीजेपी और कांग्रेस जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराया गया है. सत्ता दल के बड़े पद के नेताओं को भी अंदरूनी क्षेत्रों में सिक्योरिटी प्राप्त है. दुर्भाग्यवश इस महीने दो बीजेपी नेताओं की नक्सलियों ने हत्या की जो बस्तर पुलिस के लिए भी काफी चिंता का विषय है. जनप्रतिनिधियों को भी अंदरूनी क्षेत्रों में अपने निजी दौरे से लेकर राजनीतिक कार्यक्रम पर भी जाने की सूचना संबंधित थाने में देने के लिए कहा जाता है.


आईजी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा की जवाबदारी पुलिस की रहती है और पुलिस द्वारा पूरी कोशिश की जाती है कि जनप्रतिनिधियों को प्रोटोकॉल का पालन करवा कर उनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाए. हालांकि, इस घटना के बाद से पुलिस पूरी तरह से सचेत है और जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा  का अब खास ध्यान रखने की भी बात कही है.



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