ABP News की खबर का हुआ असर, बस्तर के बेघर आदिवासियों की सुध लेने तेलंगाना, आंध्र पहुचीं सर्वे टीम
छत्तीसगढ़ में एबीपी न्यूज़ की खबर का बड़ा असर हुआ है. सर्वे टीम बस्तर के सलवा जुडूम प्रभावितों का बयान दर्ज करने तेलंगाना और आंध्रप्रदेश पहंच गई है. राज्य सरकार ने तीन अफसरों को नोडल अधिकारी बनाया है.
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ABP News Impact: छत्तीसगढ़ में एबीपी न्यूज की खबर का बड़ा असर हुआ है. सलवा जुडूम प्रभावितों की स्थिति जानने के लिए राज्य सरकार ने अधिकारियों की सर्वे टीम बनाई है. सर्वे टीम में दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर के तीन अधिकारी शामिल हैं. सर्वे टीम तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जाकर बस्तर के सलवा जुडूम प्रभावितों की स्थिति की जानकारी लेगी. दरअसल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के फॉरेस्ट की जमीन पर बसे आदिवासी ग्रामीणों को दोनों ही सरकारें पिछले दो सप्ताह से बेदखल करने का काम कर रही हैं. वन विभाग के अधिकरी और कर्मचारियों ने आदिवासियों के मकानों पर बुलडोजर भी चला दिया है. लगभग 5 हजार से अधिक की संख्या में बस्तर के आदिवासी बेघर हो गए हैं. एबीपी न्यूज की खबर के बाद हरकत में आयी राज्य सरकार ने बेघर आदिवासियों की सुध लेने का फैसला किया. सर्वे टीम को प्रभावित ग्रामीणों का बयान दर्ज कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने का जिम्मा दिया. छत्तीसगढ़ के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर से करीब 10 साल पहले नक्सली भय के कारण घर, जंगल, जमीन और गांव छोड़कर आदिवासी चले गए थे.
3 अफसरों को बनाया गया नोडल अधिकारी
सलवा जुडूम के प्रभावित हजारों आदिवासी ग्रामीण बस्तर से पलायन कर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में शरण ली थी. आदिवासी फॉरेस्ट की जमीन पर कच्चे मकान बनाकर वर्षों से रह रहे थे, लेकिन कुछ सप्ताह पहले अचानक विस्थापित आदिवासियों के घरों पर वन विभाग ने बुल्डोजर चला दिया. आरोप है कि सलवा जुडूम प्रभावितों से मारपीट कर जमीन छोड़कर चले जाने को कहा गया. जमीन छोड़कर चले जाने के फरमान से हजारों आदिवासियों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया और जंगल में सोने को मजबूर हो गए. 5 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी ग्रामीण तेलंगाना में मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. परिवार वालों ने छत्तीसगढ़ सरकार से भी मदद की गुहार लगाई थी.
दयनीय स्थिति पर एबीपी न्यूज ने खबर भी प्रकाशित किया था. खबर के बाद छत्तीसगढ़ सरकार और सत्ताधारी दल कांग्रेस ने भी मामले में दिलचस्पी लेने की शुरुआत कर दी. राज्य सरकार की ओर से बीजापुर ,सुकमा और दंतेवाड़ा से तीन नोडल अफसर बनाए गए हैं. ये अफसर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के गांवों का दौरा करने के साथ प्रभावितों से बातचीत भी कर रहे हैं. बीजापुर जिले से नोडल अफसर के तौर पर एडिशनल कलेक्टर मनोज बंजारे को जिम्मेदारी दी गई है. सुकमा जिले से कोंटा एसडीएम और दंतेवाड़ा से डिप्टी कलेक्टर कमल किशोर को नोडल अधिकारी बनाया गया है. सभी अफसर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पीड़ितों से बात कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक तीनों अफसरों को विस्थापित आदिवासियों ने दो टूक कह दिया है कि अब बस्तर वापस नहीं आना चाहते. हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी किसी भी अफसर ने कुछ नहीं कहा है. आदिवासियों की स्थिति की रिपोर्ट अधिकारी सीधे सरकार को सौंपेंगे और मामले में सरकार की तरफ से रिपोर्ट पूरी होने के बाद बयान दिया जाएगा.
तेलगांना और आंध्र प्रदेश में रहने की मांग
जानकारी के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र में रहने वाले प्रभावितों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है. पत्र में सलवा जुडूम से लेकर अभी तक की परिस्थिति लिखी गई है और मांग की गई है कि सभी प्रभावितों के विस्थापन की समस्या का हल वर्तमान जगह पर जाए. उन्होंने फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत विस्थापन करने की बात कही है. प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि सरकार फॉरेस्ट राइट एक्ट में जमीन के बदले यही जमीन दिलवा दे. आदिवासी ग्रामीण तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में ही रहना चाहते हैं क्योंकि अगर वापस बस्तर आये तो नक्सली मार देंगे. नक्सलियों का भय अभी भी सलवा जुडूम प्रभावितों पर है. ऐसे में ग्रामीण तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार से मांग रहे हैं कि वर्तमान जगह पर रहने की व्यवस्था की जाए.
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