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Bastar News: विश्व में प्रसिद्ध है बस्तर का गोदना आर्ट, अब इस तकनीक से परंपरा को बनाए रखने की कोशिश
कांकेर के केशकाल टाटामारी पर्यटन स्थल में वन विभाग का प्रयास गोदना आर्ट को जीवित रखने की दिशा में उठाया गया सराहनीय कदम था. वन विभाग ने पारंपरिक गोदना, परिधान और खेल की प्रदर्शनी लगाई.
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Bastar News: छत्तीसगढ़ का बस्तर अनोखी परंपरा और रीति-रिवाज के लिए विश्व में प्रसिद्ध है. वेशभूषा और कला बस्तर को सबसे जुदा करते हैं. बस्तर का गोदना आर्ट काफी मशहूर है. गोदना आर्ट के पीछे बस्तर में लोगों की कई मान्यताएं हैं. एक मान्यता है कि मृत्यु के बाद पूर्वजों से मिलने में गोदना संपर्क बनाने का काम करता है. लेकिन धीरे-धीरे आर्ट विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहा है. हालांकि गोदना आर्ट को नई तकनीक से जीवित रखने की कोशिश की जारी है ताकि परंपरा को बनाए रखा जा सके.
नई तकनीक से गोदना आर्ट को जीवित करने की कोशिश
कांकेर जिले के केशकाल टाटामारी पर्यटन स्थल में वन विभाग का प्रयास आर्ट को जीवित रखने की दिशा में उठाया गया सराहनीय कदम था. पारंपरिक गोदना, परिधान और खेल की प्रदर्शनी में लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. DFO रमेश कुमार जांगड़े ने बताया कि बस्तर में लुप्त होती परपंरा को जीवित रखने के लिए वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. इसी के तहत बस्तर में लुप्त होती गोदना आर्ट की प्रदर्शनी केशकाल के टाटामारी में लगाई गयी थी. इसका मुख्य उद्देश्य विधा का संरक्षण और संवर्धन करना है.
हर्बल गोदना को प्रदर्शनी से किया जा रहा लोकप्रिय
प्रदर्शनी में लोगों ने हाथों पर गोदना आर्ट कराया. गोदना गुदवाने आए लोगों ने कहा कि आर्ट को जीवित रखने की जरुरत है. पूरे विश्व में गोदना आर्ट किसी न किसी तकनीक से किया जाता है. पुरातन समय में गोदना कांटे या तेज धारदार सुई से किया जाता था, लेकिन समय के बदलाव में प्रक्रिया बदल चुकी है. आधुनिक मशीनें दर्द को कम कर देती हैं. एक नई विधा हर्बल गोदना को छत्तीसगढ़ के बस्तर और बिलासपुर में शुरू किया गया है. हर्बल गोदना में दूधिया पौधे का इस्तेमाल कर चारकोल को ऊपर से छिड़क दिया जाता है. हालांकि इस तरह का गोदना स्थायी तो नहीं होता है लेकिन परंपरा को बनाये रखने में अहम भूमिका जरुर निभाता है.
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