Bastar News: बस्तर के पारंपरिक व्यंजन बस्तरिया भात के लाखों हैं दीवाने, जानिए- किन व्यंजनों से सजती है पूरी थाली
रायपुर के राज्योत्सव में महिलाओं ने बस्तरिया भात का स्टॉल लगाया था. महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने बताया कि 6 दिनों के राज्योत्सव में उन्हें 50 हजार रुपये तक की कमाई इस बस्तरिया भात से हुई.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) अपने आप में अद्भुत है. प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर यहां मिलने वाले वनोपज के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. यही नहीं यहां आदिवासियों के द्वारा तैयार की जाने वाले लोकल व्यंजन के लाखों लोग दीवाने हैं. देश-दुनिया से बस्तर घूमने आने वाले पर्यटकों की बस्तरिया भात पहली पसंद रहती है. क्योंकि इस बस्तरिया भात में हेल्दी फूड के साथ ही स्वादिष्ट व्यंजन शामिल होते हैं. इसे चखते ही पर्यटक तारीफ कर उठते हैं. जानिए इस बस्तरिया भात में कौन-कौन से व्यंजन शामिल होती है.
10 से अधिक व्यजंन बस्तरिया भात में शामिल
दरअसल, बस्तर के वनाचलों में 50 से अधिक वनोपज पाए जाते हैं और यह वनोपज आदिवासियों के आय का मुख्य स्रोत है. इन वनोपज से ही कुछ ऐसे व्यंजन आदिवासियों के द्वारा तैयार किए जाते हैं, जो केवल आपको बस्तर में ही खाने को मिलेंगे. दरअसल, बस्तरिया भात के व्यंजन में मंडिया पेज बस्तर के आदिवासियों के मुख्य व्यंजन में से एक है. मंडिया पेज शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है. आदिवासियों द्वारा उगाए जाने वाले रागी और कनकी से इस मंडिया पेज को तैयार किया जाता है, जो बीपी और शुगर के मरीजों के लिए रामबाण है. इसे बकायदा आदिवासी पत्ते के दोने में परोसते हैं और पर्यटक भी बड़े चाव से इसे पीते हैं.
इन व्यंजनों से सजती है थाली
इसके अलावा चापड़ा चटनी भी प्रसिद्ध व्यंजन में से एक है. सालवन और आम के पेड़ों में पाए जाने वाले बड़े-बड़े चीटों को सील पत्थर में पीसकर चापड़ा चटनी तैयार की जाती है. कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को बुखार आ जाए और चापड़ा चटनी उंगली से चटकर जाए तो उसका आधा बुखार उतर जाता है. हालांकि, इसके पीछे कोई साइंटिफिक रीजन नहीं है लेकिन चापड़ा चटनी इतनी तेज होती है कि पूरे शरीर को दुरुस्त कर देता है. खासकर ग्रामीण मंडिया पेज के साथ इस चटनी को परोसते हैं. इसके अलावा बस्तर में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले महुआ पेड़ के फूल से बने लड्डू, लोकल चावल के आटे से बना चीला, आमट और बांस की तने से बनाई जाने वाली बास्ता की सब्जी, बोबो भजिया, चाउर भाजा, (चावल और चिकन की खिचड़ी) तीखुर की बर्फी जैसे व्यंजनों के साथ महुआ फूल की चाय भी बस्तरिया भात में शामिल है जो काफी स्वादिष्ट होती है.
मुख्यमंत्री ने भी की बस्तरिया भात की तारीफ
वहीं इस साल राज्योत्सव के मौके पर जगदलपुर शहर के हलबा कचोरा गांव के महिला स्व सहायता समूह द्वारा तैयार इस बस्तरिया भात की रायपुर के राज्योत्सव में धूम रही. बाकयदा महिलाओं ने यहां स्टॉल भी लगाया था और महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों ने बताया कि 6 दिनों के राज्योत्सव में उन्हें 50 हजार रुपये तक की कमाई इस बस्तरिया भात से हुई. लोग बड़े चाव से बस्तर के व्यंजनों का स्वाद चखे और जमकर इसकी तारीफ की. खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी सोशल मीडिया में बस्तरिया भात की तारीफ करते हुए केवल 3 दिनों में बस्तरिया भात से हुए महिला स्व सहायता समूह को 32 हजार रुपये की कमाई को लेकर उन्हें बधाई भी दी.