Chhattisgarh Police: किशोरावस्था मोम के समान होती है और इस उम्र में ही बच्चों में भटकाव का डर होता है, बच्चे गलत रास्ते पर न जाएं और किशोरियां मनचलों का मुकाबला कर सकें, इसके लिए छत्तीसगढ़ के कारोबा की पुलिस किशोरों को नशे के दुष्प्रभाव बता रही है तो वहीं किशोरियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही है. कोरोना भी इस मुहिम को रोक नहीं सका है, पहले यह ऑफलाइन अभियान चल रहा था तो अब यह ऑनलाइन जारी है.


किशोरो को जागृत करने के चलाया गया है अभियान
छत्तीसगढ़ के कारोबा की पुलिस ने किशोरों में जागृति लाने के लिए शुरू किए गए खाकी के रंग स्कूल के संग अभियान में छात्राओं को आत्मरक्षा के तरीके सिखाए जाते है तो वहीं नशाखोरी से होने वाले दुष्प्रभावों को भी बताया जा रहा है . खास बात ये कि इस कार्यक्रम का जिम्मा महिला पुलिस अधिकारियों को दिया गया है . इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं जिनमें तीन महिला अधिकारियों के अधीनस्थ महिला एवं पुरुष कर्मचारियों को रखा गया है . जिनके द्वारा आत्मरक्षा के तरीके सिखाए जाते हैं.


कोरोना में दिया जा रहा है ऑनलाइन प्रशिक्षण 
वर्तमान में कोरोना महामारी की तीसरी लहर के बीच स्कूलों में प्रत्यक्ष उपस्थित की बजाय ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस अभियान का मकसद बच्चों को कानून की सामान्य जानकारी , यातायात के नियम, सायबर ठगी,सोशल मीडिया के उपयोग करते समय सतर्क रहने,बाल विवाह,गुड टच बेड टच,घरेलू हिंसा,पॉक्सो एक्ट महिलाओं एवं बच्चों पर घटित होने वाले अपराध , नशाखोरी से होने वाले नुकसान, अन्य सामाजिक बुराइयों के बारे में जानकारी एवं आपातकालीन खतरों से निपटने हेतु आत्मरक्षा के तरीके सीखाना है .


स्कुल बंद होने के बाद भी जारी रहा प्रशिक्षण
आपको बता दें कि कोरोना के प्रकरण बढ़ने पर भी यह अभियान रुका नहीं है .ऑनलाइन क्लासेस बन्द होने के बाद भी खाकी के रंग स्कूल के संग विद्यार्थी कार्यक्रम जारी है. वर्चुअल माध्यम से संबंधित थाना इलाकों के पुलिस अधिकारी अपने क्षेत्र के स्कूलों के विद्यार्थियों को जागृत करने में लगे हैं . पुलिस अधीक्षक कोरबा भोज राम पटेल खुद पूर्व में शिक्षक रह चुके हैं और वे बच्चों की समस्याओं से लेकर बालिकाओं के सामने आने वाली मुसीबतों से भली भांति परिचित है, यही कारण है कि उन्होंने किशोरों को भटकाव से रोकने अभियान चलाया है.


युवाओं को नशे से दूर रखना है लक्ष्य
पुलिस अधीक्षक पटेल ने कहा कि यदि पुलिस के द्वारा किए जा रहे सकारात्मक एवं रचनात्मक कार्यों से बच्चों को जोड़ दिया जाए तो इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे, बच्चों को जिस तरह की शिक्षा दी जाएगी बच्चों का भविष्य निर्माण भी उसी प्रकार होगा . इसलिए युवाओं को नशे से दूर रखने और छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के लिए स्कूलों को चुना. जानकारों का मानना है कि इस तरह के अभियान से शिक्षक, विद्यार्थी एवं समाज के बीच पुलिस से रहने वाली दूरी कम होगी . पुलिस को जनता से मधुर संबंध स्थापित करने का मौका मिलेगा, पुलिस के प्रति विश्वास का माहौल कायम होगा और भविष्य में जनता पुलिस का सहयोग करते हुए कानून का शासन स्थापित करने में मददगार होगी.


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