Bijapur News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बीते 1 जनवरी को पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में एक 6 माह की मासूम बच्ची की मौत के मामले में अब तक जांच नहीं होता देख आदिवासियों का गुस्सा फूट पड़ा है और इस घटना की न्यायिक जांच की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज सड़क पर उतर गया है. गुरुवार को समाज ने बीजापुर बंद बुलाया और इस बंद का बीजापुर के सभी स्थानीय लोगों के द्वारा समर्थन देने के साथ व्यापारियों ने भी अपनी-अपनी दुकान बंद रख इस बंद का समर्थन किया. दरअसल क्रॉस फायरिंग में हुई बच्ची की मौत के बाद लगातार ग्रामीण न्याय की मांग को लेकर गांव में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कोई जांच टीम गठित नहीं की गई है, जिससे आदिवासी समाज प्रशासन के इस रवैये से काफी नाराज चल रहा है. गुरुवार को सर्व आदिवासी समाज ने बंद बुलाया और इस बंद को सभी का समर्थन मिला.


आदिवासी समाज घटना की न्यायिक जांच करने की कर रहा मांग


दरअसल जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के मुतवेंडी गांव में बीते 1 जनवरी को हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में एक 6 महीने की बच्ची की गोली लगने से मौत हो गई थी. वही बच्ची की मां भी गंभीर रूप से घायल हो गई थी. इस मामले में नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर पुलिस की गोली से बच्ची की मौत होने का आरोप लगाया, तो वहीं जवानों ने नक्सलियों की फायरिंग में बच्ची की मौत होना बताया. हालांकि जवानों ने ही घायल अवस्था में बच्ची की मां को अस्पताल पहुंचाया और बताया जा रहा है कि मुआवजा राशि भी शासन से इस परिवार को मिला, लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर किसकी गोली से बच्ची की मौत हुई है. मृत बच्ची के परिवार वालों ने न्याय की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है और इस आंदोलन को सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और अन्य का भी समर्थन मिला है. लगातार गांव के ग्रामीण गांव में इस मामले की न्यायिक जांच की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को इस मामले को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने बीजापुर बंद बुलाया और गुरुवार सुबह से ही बंद का असर देखने को मिला


हसदेव अरण्य खदान निरस्त करने की भी कर रहे मांग


सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रशासन से इस मामले को लेकर न्यायिक जांच टीम गठित करने की मांग काफी दिनों से की जा रही है, और जल्द से जल्द इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. इसके साथ ही जिस तरह से हसदेव में आदिवासियों की सबसे बड़ी पूंजी वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज को आहत पहुंचा है. इसलिए हसदेव अरण्य मामले में सरकार से खदान निरस्त करने की मांग भी आदिवासी समाज कर रहा है.


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