Chhattisgarh News: दुनिया तेजी से बदल रही है, ऐसे में काम करने के तरीकों में भी बदलाव हो रहा है. सरकारी दफ्तरों में फाइलों के पहाड़ से छुटकारा पाने के लिए सभी दस्तावेज को ऑनलाइन सेव किया जा रहा है. दशकों पुराने इन फाइलों की सुरक्षा के लिए पहले जो तरकीब अपनाई गई थी, आज हम उन्हीं में से एक सुरक्षा के तरीके की बात आपको बताने जा रहे हैं. दरअसल सरकारी काम आज ऑनलाइन हो रहे हैं, लेकिन लिखित दस्तावेजों की महत्ता कम नहीं हुई है.

 

आज भी शासकीय दफ्तरों में दस्तावेज बड़ी मात्रा में दिखाई देते हैं. इसमें कई दशक पुराने दस्तावेज आज भी सुरक्षित हैं. लेकिन अधिकारी और कर्मचारियों के सामने इन दस्तावेजों को सुरक्षा मुहैया कराना बड़ी चुनौती से कम नहीं है. चूहे दस्तावेजों को कुतरकर फाइल बर्बाद कर देते हैं, जिससे बचने के लिए बिल्लियां पाली जाती थीं और इससे फाइल दफ्तरों में सुरक्षित रहते थे. दस्तावेजों नस्ती फाइलों की सुरक्षा के लिए विशेषकर बिल्ली पाली जाती थी. शासकीय विभागों के दफ्तरों के कोषालय और रिकॉर्ड रूप में बिल्ली रखी जाती थी. इसके लिए बकायदा सरकार की तरफ से पैसे भी आवंटित किेए जाते थे, लेकिन ये काम अब बंद कर दिया गया है.

 

बिल्ली को दूध पिलाने के लिए मिलते थे इतने रुपये

 

पहले बिल्ली को दूध पिलाने के लिए 1 रुपये और बाद में 5 रुपये की राशि मिलती थी, लेकिन अब ये प्रचलन समाप्त कर दी गई है. इससे अब फिर फाइल पर चूहों का खतरा बढ़ गया है. छत्तीसगढ़ में 64 से अधिक शासकीय विभाग है. जहां बिल्लियों को पालना बंद कर दिया गया है. रायपुर के कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया कि पहले रिकॉर्ड रूम में फाइलों की सुरक्षा के लिए बिल्ली पालना बहुत पहले बंद हो चुका है. इसके जगह अब रसायनिक दवाओं का उपयोग किया जाता. इससे फाइल में दीमक भी नहीं लगता है. दफ्तरों में अब कंप्यूटर के जरिए ऑनलाइन फाइल सेव किए जा रहे हैं. हालांकि अब भी चूहे इलेक्ट्रिक सामानों की तार काट देते हैं.

 

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