Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में गर्मियों के दिनों में 'बोरे बासी' (Bore Basi) सबसे पसंदीदा भोजन में से एक है. राज्य में पहली बार बोरे बासी को लेकर काफी चर्चा हो रही है. 1 मई यानी मजदूर दिवस (Labour Day) पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने प्रदेशवासियों से बोरे बासी खाने की अपील की है. इसके बाद से ही इसकी तैयारी शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के गढ़ कलेवा में भी रोजाना 250 लोगों के हिसाब से बोरे बासी बनाई जा रही है.

 

दरअसल तेज गर्मी में भी छत्तीसगढ़ के किसान-मजदूर बोरे बासी सुबह खाते हैं. यह काम के दौरान मजदूरों को लू और डिहाइड्रेशन से बचाता है. इससे शरीर में ठंडक बनी रहती है. इसलिए सुबह आचार, भाजी और टमाटर चटनी के साथ इसे परोसा जाता है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोगों से बोरे बासी खाने के लिए अपील की है. इससे छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और परंपरा का संरक्षण होगा. पीढ़ियों से चली आ रही बोरे बासी खाने की परंपरा को एक बार फिर जीवित किया जा रहा है.

 

कैसे बनाया जाता है 'बोरे बासी'

 

रायपुर गढ़ कलेवा की संचालक मंजू शर्मा ने बताया कि बोरे बासी पके हुए चावल को रात भर पानी में भिगोकर सुबह पूरी तरह भीग जाने पर भाजी, टमाटर चटनी, टमाटर-मिर्ची की चटनी, प्याज, बरी-बिजौरी और आम-नींबू के आचार के साथ खाया जाता है. इसमें विटामिन बी-12 की प्रचूर मात्रा के साथ-साथ ब्लड और हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने का भी काम करता है. बोरे बासी में आयरन, पोटेसियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. इसे खाने में पाचन क्रिया सही रहता है और शरीर में ठंडक रहती है.

 

इन मौकों पर घोषित की जा रही है सरकारी छुट्टी

 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों से संस्कृति और लोक परंपराओं, तीज-त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए शाससकीय अवकाश घोषित किया जा रहा है. वहीं तीज-त्योहार को प्रोत्साहन देने के लिए भी अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन भी किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई को मजदूर दिवस को बोरे बासी खाने की अपील की है.

 

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