कोरोना महामारी ने विश्वभर में जिस तरह की तबाही मचाई अब उसके आंकलन का वक्त आ गया है. हालांकि अभी भी ये बीमारी गई नहीं है पर इसके कारण शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले नुकसान के खिलाफ तेजी से आवाजें उठने लगी हैं. ऐसा ही एक खुलासा छत्तीसगढ़ के स्कूलों को लेकर भी हुआ. छत्तीसगढ़ की एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) में ये बात सामने आयी की यहां के स्कूलों को कोरोना महामारी की वजह से गंभीर नुकसान हुआ है खासकर सरकारी स्कूल के बच्चों को.
टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक रिपोर्ट के माध्यम से पता चला कि यहां के सरकारी स्कूल के बच्चे इस महामारी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और साल 2021 में यहां ऐसे छात्रों की संख्या डबल हो गई जो अक्षर लिखने और पहचाने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं.
बेसिक लेवल पर हुई है बड़ी समस्या –
रिपोर्ट में हुए खुलासे में पता चला है कि बच्चों में मूलभूत पढ़ने और अंकगणित का स्तर महामारी के आने के साथ काफी हद तक गिर गया है, खासकर प्राइमरी क्लासेस में. दरअसल सरकारी स्कूल के बच्चों के पास ऑनलाइन क्लासेस के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते. इसमें भी छोटे बच्चे बिना टीचर के पास जाए वर्चुअल तरीके से सीखने में खासा परेशानी का सामना करते हैं.
पढ़ने की क्षमता पर भी पड़ा असर –
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि महामारी की वजह से छात्रों की रीडिंग एबिलिटी यानी पढ़ने की क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. क्लास 1 से 6 तक के बच्चों की पढ़ने की क्षमता पिछले दशक की तुलना में अब बहुत गिर गई है. रिपोर्ट में ये भी साफ हुआ कि सबसे ज्यादा गिरावट छोटे क्लास के बच्चों में देखी गई वो भी सरकारी स्कूल के बच्चों में खासतौर पर.
इन जिलों का हाल है सबसे बुरा –
अगर जिला स्तर पर बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक, जिला स्तर पर, बस्तर और बीजापुर में सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से दो तक के बच्चे जो अक्षर भी नहीं पढ़ सकते हैं, का अनुपात 70 प्रतिशत से अधिक है. दंतेवाड़ा (दक्षिण बस्तर) और बीजापुर में, सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन से पांच में कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ने वाले बच्चों का अनुपात 10 प्रतिशत से कम है. यानी अपनी कक्षा से कम स्तर का पाठ भी ये छात्र नहीं पढ़ पा रहे हैं.
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