Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए बड़ा आंदोलन चल रहा है. ग्रामीण आदिवासी कोयला खनन की अनुमति का विरोध कर रहे हैं. वन प्रेमी छत्तीसगढ़ के अलावा देश- विदेश में कोयले के लिए जंगल की कटाई पर अक्रोशित हैं. ऐसे वक्त में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है. सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि देश को बिजली चाहिए तो कोयले की जरूरत पड़ेगी.
ग्रामीण आदिवासियों ने किया विरोध
दरअसल देश में बिजली के लिए कोयले की जरूरत पड़ती है. क्योंकि भारत में कोयले से ही अधिकांश पावर प्लांट चलती है. इसलिए बिना कोयले की बिजली संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. हाल ही में राजस्थान में बिजली संकट की स्थिति निर्मित हुई तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे. सीएम भूपेश बघेल से कोयला खनन की अनुमति की मांग की गई थी. वहीं अब हसदेव में कोयला खनन की प्रक्रिया तेज हुई है तो ग्रामीण आदिवासी धरने पर बैठ गए हैं.
'देश को बिजली चाहिए तो कोयला की जरूरत पड़ेगी'
रायपुर हेलीपेड में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सुकमा रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत की है. उन्होंने कोयला खनन के लिए पेड़ की कटाई के सवाल पर जवाब दिया है. सीएम भूपेश बघेल ने कहा, "कोयला वहीं है, जहां पहाड़ और जंगल है. जंगलों को बचाने के लिए नीतियां बनी है. वन विभाग उसे देखते हैं. उसके लिए वन अधिनियम है, पर्यावरण कानून है. उन नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. प्रभावित लोगों को मुआवजा बराबर मिलना चाहिए."
'कोयले के लिए पैसेंजर ट्रेन रोकी गई'
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "देश को कोयले की जरूरत है. आज कोयले के लिए पैसेंजर ट्रेन को रोकना पड़ रहा है. इतिहास में कभी देश में ऐसा नहीं सुना गया था. आज भारत सरकार खुद रेल रोक रही है. कोयला मंत्री लगातार देख रहे हैं. देश को बिजली चाहिए तो कोयले की जरूरत तो पड़ेगी. कोयला वहीं से मिलेगा जहां कोयले की खदान है, लेकिन इसके लिए जो नियम है उसका पालन होना चाहिए, उसमें कोताही नहीं होनी चाहिए.
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