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Chhattisgarh: कभी थीं जान की 'दुश्मन', अब जवानों की वर्दी बनाने में जुटीं 'लाल आतंक' का रास्ता छोड़ चुकी महिलाएं

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में सबसे पिछड़ा क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर की तस्वीर अब बदल रही है. दंतेवाड़ा जिला अब एजुकेशन हब के साथ पूरे सूबे में ब्रांडेड और रेडीमेड कपड़ों की भी पहचान बन गया है.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में सबसे पिछड़ा क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर की तस्वीर अब बदल रही है, खासकर दंतेवाड़ा जिला अब एजुकेशन हब के साथ पूरे छत्तीसगढ़ में ब्रांडेड और रेडीमेड कपड़ों की भी पहचान बन गया है. राज्य सरकार और जिला प्रशासन के सहयोग से नक्सल पीड़ित परिवार की महिलाओं, छात्राओं और स्थानीय आदिवासी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया गया है.

रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की चार यूनिट स्थापित की गई है और पांचवीं की तैयारी चल रही है. इन चार गारमेंट फैक्ट्री में करीब 750 गरीब महिलाओं का रोजगार के माध्यम से जीवन स्तर सुधारा जा रहा है. गारमेंट फैक्ट्री में तैयार हो रहे कपड़ों का ब्रांड डेनेक्स (DANNEX) नाम से रजिस्टर्ड किया गया है. 'डेनेक्स’ यानी दंतेवाड़ा नेक्स्ट. पिछले 11 महीने में गारमेंट फैक्ट्री के माध्यम से अब तक 30 करोड़ का बिजनेस जिला प्रशासन ने किया है.

11 महीनों में 30 करोड़ रुपये का बिजनेस

दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि शुरुआत में डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री की एक ब्रांच खोली गई थी. 200 से अधिक नक्सल पीड़ित परिवार की महिलाओं और सरेंडर महिला नक्सलियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 45 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया, उसके बाद इन महिलाओं के तैयार कपड़ों का ब्रांड नाम डेनेक्स रखा गया.

छत्तीसगढ़ के इकलौते दंतेवाड़ा में कपड़ों की पहली फैक्ट्री बनकर तैयार हुई और बेहद कम समय में ही पूरे देश में आदिवासी महिलाओं और नक्सल पीड़ित महिलाओं के बनाए गए कपड़ों की डिमांड बढ़ी. अब आलम ये है कि 11 महीनों में दंतेवाड़ा जिले में ही कुल चार गारमेंट फेक्ट्री के ब्रांच खोले गए हैं और वर्तमान में 750 से अधिक महिलाएं इनमें काम कर रही हैं.

कलेक्टर ने कहा कि बकायदा बस्तर में तैनात अर्धसैनिक बलों के लिए वर्दी भी इन महिलाओं के जरिए तैयार की जा रही है. इसके अलावा लेडिस वेयर के साथ पुरुषों के लिए शर्ट, कुर्ता भी बन रहा है. अलग-अलग चार निजी कंपनियों से एमओयू भी साइन हुआ है. इसके अलावा ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से दंतेवाड़ा में बने कपड़ों का चलन तेजी से बढ़ा है. यही वजह है कि अब जल्द ही जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इस गारमेंट फैक्ट्री के ब्रांच खोलने की तैयारी जिला प्रशासन कर रहा है.

कलेक्टर ने बताया कि दंतेवाड़ा और आसपास के इलाके में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही महिला सशक्तिकरण की दिशा में इस फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है जिसका अच्छा नतीजा मिल रहा है. कलेक्टर ने दावा किया कि 11 महीनों में कुल 30 करोड़ का बिजनेस गारमेंट फैक्ट्री के माध्यम से किया गया है.

100 सरेंडर नक्सलियों को मिला रोजगार

दंतेवाड़ा कलेक्टर के मुताबिक छत्तीसगढ़ की पहली फैक्ट्री का जिम्मा नक्सल पीड़ित परिवारों और सरेंडर नक्सलियों के हाथों में है. यहां सरेंडर कर चुके 100 नक्सलियों को रोजगार मिला है. आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली नक्सल पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर डेनेक्स टेक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री चला रहे हैं. सब मिलकर ब्रांडेड कपड़ा कंपनियों के लिए कपड़ों पर प्रिंटिंग का काम कर रहें है. यहां से प्रिंट हुए कपड़े और सिलाई के बाद विभिन्न माध्यमों से देशभर के बाजार में भेजे जा रहे है जिससे नक्सल गढ़ की महिलायें सशक्त हो रहीं है.

फैक्ट्री की पहली ब्रांच जिले के गीदम ब्लॉक और दूसरी ब्रांच बारसूर में स्थापित हो चुकी है. इसके अलावा दो अन्य जगहों पर फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है. प्रशासन का मानना है कि दंतेवाड़ा जिले में गारमेंट हब स्थापित होने से बेरोजगार युवाओं और युवतियों का माओवादियों के प्रति झुकाव रोकने में भी मदद मिलेगी. फैक्ट्री में काम कर रहीं सभी महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली हैं जिन्हें सिलाई और टेलरिंग का काम पहले से आता था लेकिन उनके पास रोजगार का कोई स्थायी साधन नहीं था. साथ ही उन्हें कपड़ों के औद्योगिक उत्पादन की कोई जानकारी नहीं थी लेकिन इस फैक्ट्री के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया और अब उनसे उत्पादन भी लिया जा रहा है.

हर माह 7 हजार रुपये की होती है आय

डेनेक्स फैक्ट्री के खुलने और महिलाओं को रोजगार मिलने से जीवन स्तर में काफी सुधार हो रहा है. कई महिलाओं ने स्कूटी तक खरीद ली और कइयों ने अपनी तनख्वाह से पति को किराने की दुकानें भी खोल कर दे दी. फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं के छोटे बच्चों के लिए प्ले रूम भी बनाया गया है. महिलाओं को शुरुआती सैलरी 7 हजार रुपये प्रतिमाह दी जा रही है. योग्यता के आधार पर अच्छा काम कर रही महिलाओं और युवतियों को 15 हजार तक की मासिक सैलरी भी मिल रही है. 

750 महिलाओं को मिला रोजगार

दरअसल नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री स्थापित करने की सोच जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की आर्थिकी स्थिति में सुधार लाने और खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया गया है. इसके अलावा सरेंडर महिला नक्सलियों को एक नई जिंदगी और नक्सल पीड़ित परिवारों के जीवन मे सुधार लाने का फैक्ट्री के माध्यम से प्रयास किया गया. वर्तमान में करीब 750 महिलाएं इन चार फैक्ट्रियों में काम कर रही हैं. डेनेक्स ने अब तक 30 करोड़ का बिजनेस कर लिया है जबकि लगभग 50 करोड़ का ऑर्डर बाकि है. देश की बड़ी बड़ी कंपनियां डेनेक्स के साथ जुड़ रही हैं. मिंत्रा की वेबसाइट पर डेनेक्स दंतेवाड़ा के कपड़े बिक रहे हैं. बस्तर में तैनात सीआरपीएफ और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स की तरफ से भी गारमेंट फैक्ट्री को वर्दियां ओर अन्य कपड़े सिलने के ऑर्डर मिल रहे हैं.

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