(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattishgarh News: बलरामपुर में जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर विवाद, पदोन्नत शिक्षकों ने DEO पर लगाया यह आरोप
Balrampur: कलेक्टर विजय दयाराम ने कहा है कि उन्हें एक ज्ञापन मिला है और अलग-अलग शिकायतें भी मिली हैं, तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी.
बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के शिक्षा विभाग में विभागीय पदोन्नति के बाद पदस्थापना को लेकर शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पदोन्नत शिक्षकों का आरोप है कि गलत तरीके से पदस्थापना की गई है. इस मसले को लेकर भारी संख्या में शिक्षकों ने आज रामानुजगंज में संचालित जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का घेराव कर दिया और जमकर नारेबाजी की. इसकी शिकायत कलेक्टर तक पहुंची. उन्होंने कहा है कि उन्हें एक ज्ञापन मिला है और अलग-अलग शिकायतें भी मिली हैं, तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, डीपीआई से प्राप्त निर्देशों की अवहेलना करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी केएल महिलांगे ने 880 सहायक शिक्षक (एलबी) का प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नती आदेश जारी किया था. इसके साथ ही पदोन्नत शिक्षकों की नवीन पदस्थापना व्यक्तिगत तौर पर किया गया था. बुधवार रात ही जिला शिक्षा अधिकारी ने विभागीय पदोन्नति के आदेश जारी किए थे. गुरुवार को जैसे ही शिक्षकों को पता चला कि पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना में शासन की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए आदेश जारी किया गया है. इसका पदोन्नत शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया.
इस संबंध में कलेक्टर विजय दयाराम के ने कहा कि कल देर रात पदोन्नति की सूची जारी हुआ है. इस संबंध में शिक्षकों में एक वातावरण निर्मित हुआ है. उनके द्वारा एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया है, अलग अलग तरह ही शिकायत भी कार्यालय तक पहुंची है. तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी.
जशपुर में भी हुई थी गड़बड़ी
बता दें कि, इससे पहले जशपुर जिले में शिक्षा विभाग में शिक्षकों के ट्रांसफर ऑर्डर में बड़ी गड़बड़ी सामने आई थी. जिला शिक्षा अधिकारी जेके प्रसाद ने बगीचा ब्लॉक के कई स्कूलों के शिक्षकों का ट्रांसफर किया था, लेकिन इसके बदले दूसरे शिक्षक नहीं दिए. इससे कई स्कूल शिक्षक विहीन और कुछ स्कूल में एक ही शिक्षक रह गए थे. हालांकि, जब मामले ने तूल पकड़ा और मीडिया में विभाग की किरकिरी हुई. तब शिक्षा अधिकारी ने अपनी गलती सुधारते हुए उन स्कूलों में दूसरे शिक्षक भेजे, जहां ट्रांसफर ऑर्डर के बाद शिक्षक ही नहीं बचे थे.
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