Chhattisgarh News: रंगों की उड़ान में दिव्यांग बच्चों ने दिखाई कलाकारी, चंद में मिनटों में उतार दी तस्वीर
Durg: जी ई फाउंडेशन द्वारा भिलाई नायर समाजम स्कूल में दिव्यांग बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बच्चों की बनाई पेंटिंग को देखकर लोगों ने इन बच्चों की प्रशंसा की.
Durg News: कहते हैं कि कला एक ऐसा धन होता है जो आपसे कोई चुरा नहीं सकता और कला के दम पर आप अपनी पहचान पूरे देश में बना सकते हैं. कुछ ऐसा ही कला का प्रदर्शन दिव्यांग बच्चों ने पेंटिंग के जरिए अपना कला का जौहर दिखाया है. जी ई फाउंडेशन द्वारा भिलाई नायर समाजम स्कूल सेक्टर -8 में दिव्यांग बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता "रंगों की उड़ान" कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
दिव्यांग बच्चों के चित्रकला प्रतिभा को निखारने एवं उनके कला को मंच देने के लिए हर वर्ष "रंगों की उड़ान" का भव्य आयोजन किया जाता रहा है. इस वर्ष कार्यक्रम में प्रदेश के 9 दिव्यांग स्कूलों के 75 से अधिक बच्चों ने अपनी प्रतिभा दिखाई. इसमें भिलाई दुर्ग व धमतरी के दिव्यांग स्कूलों ने भाग लिया. इन दिव्यांग बच्चों ने विकलांगता की सारी बाधाओं को पार करते हुए बेहतरीन पेंटिंग बनाई. पेंटिंग को देखकर लोगों ने इन बच्चों की प्रशंसा की.
दिव्यांग बच्चों ने दिखाया कला का जौहर
कोरोना ने वैसे तो पूरे विश्व के कई क्षेत्रों में जख्म दिए हैं. और वह जख्म आज भी ताजे है ऐसे में कोरोना की वजह से पिछले 2 सालों से बच्चे अपने घरों में कैद थे. अब बच्चे घरों से बाहर निकल रहे है. साथ ही जो बच्चे प्रकृति और अपनी कला को भूल चुके थे. उन कलाओं को बाहर निकालने के लिए सामाजिक संस्थाओं द्वारा कई प्रकार के आयोजन किए जा रहे हैं. उसी क्रम में दिव्यांग बच्चों के लिए भिलाई के सेक्टर 8 स्कूल में पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता में कई दिव्यांग बच्चों ने भाग लिया. बच्चों ने ऐसी ऐसी पेंटिंग बनाई इसे देखकर लोगों ने कहा वाह क्या प्रतिभा है.
बच्चों को प्रकृति के बारे में बताया जाए
कोरोना ने वैसे तो हर क्षेत्र में कई जख्म दिए हैं साथ ही लोगों को घरों में कैद कर दिया था. ऐसे में बच्चे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अनजान हो चुके हैं.अब जरूरत है कि बच्चों को कुछ बाहरी दुनिया के बारे में बताया जाए. बच्चों को प्रकृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दिया जाए.बच्चों को ऐसे जगहों पर घुमाया जाए जहां पर बच्चे प्रकृति को अच्छे से समझ सके. बच्चों को ऐसी जगह पर लेकर जाया जाए जहां पर बच्चे खुल कर इंजॉय कर सके.
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