दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का पहला विद्युत शवदाह गृह भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में बनकर तैयार हो चुका है. इसे शुरू भी कर दिया गया है.इसके लिए दो-तीन दिनों से टेस्टिंग भी किया गया.इस प्रयोग के लिए लकड़ी का उपयोग किया गया था.टेस्टिंग के बाद अब यह आधुनिक विद्युत शवदाह गृह शव दाह के लिए पूरी तरह से  तैयार है.


विद्युत शवदाह में शवदाह की प्रक्रिया की बात करें तो 2 घंटे में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. अस्थियां भी इस दौरान प्राप्त की जा सकेंगी. पूरा प्रोसेस अगर देखे तो 1:30 से 2 घंटे में शवदाह एवं अस्थि संग्रहण की प्रक्रिया पुर्ण हो जाएगी.पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह विद्युत शवदाह गृह बहुत उपयोगी है.लकड़ी और कंडे के अभाव में भी इसकी प्रक्रिया जारी रहेगी. इसके प्रारंभ होने से लकड़ी और कंडे की बचत भी होगी.


एक दिन में कितने शवों का होगा संस्कार 


इस शवदाह गृह में एक दिन के 10 घंटे में 5 से 8 शवदाह हो पाएंगे.बारिश के दिनों में भी यह काफी कारगार साबित होगा,क्योंकि इन दिनों अधिकतर लकड़ी और कंडे के बारिश में भीगने की आशंका ज्यादा हो जाती है.विद्युत शवदाह गृह को चालू करने के लिए काफी दिनों से प्रक्रियाएं की जा रही थीं. कुछ दिनों से इसकी टेस्टिंग प्रक्रिया भी की जा रही थी.आखिरकार टेस्टिंग प्रक्रिया पूरा होने के बाद विद्युत शवदाह गृह को प्रारंभ कर दिया गया है.



कैसे काम करता है इलेक्ट्रॉनिक शवदाह गृह


सीनियर टेक्नीशियन धनेश कुमार ने बताया कि विद्युत शवदाह के लिए 550 से 600 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए सबसे पहले डोर अप करके शव को इसमें रखा जाता है. इसके बाद तापमान को नियंत्रित कर प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है.संपूर्ण प्रक्रिया होने के उपरांत अस्थि संग्रहण कर सकते हैं.अस्थि संग्रहण के लिए अलग से नीचे चेंबर तैयार किया गया है. बाहर तापमान का प्रभाव न पड़े इसके लिए ब्लास्ट फर्नेस ईट का भी उपयोग किया गया है.


रामनगर मुक्तिधाम में निगम के कार्यरत कर्मचारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि बंगाली समाज के लोगों की मौजूदगी में मृतक स्वर्गीय राधा श्याम कर्माकर को विद्युत शव दाह के माध्यम से अंतिम संस्कार किया गया.विद्युत शवदाह गृह के निर्माण कार्य पर लगभग 49 लाख रुपए खर्च हुए हैं.इसका संचालन और संधारण के लिए एजेंसी 2 साल तक काम करेगी. वह इसे मेंटेन भी रखेगी.इसके अलावा इससे संबंधित प्रशिक्षण भी कर्मचारियों को दिया जा चुका है.यह आधुनिक विद्युत शवदाह गृह है जो भिलाई में अपने तरह का पहला शवदाह गृह है. 


समय और लकड़ी की बचत


विद्युत शवदाह गृह में लकड़ी और कंडे में होने वाले खर्च की अपेक्षा पैसे की बचत होने की संभावना अधिक जताई जा रही है.कोरोना काल में शव की अधिक संख्या मुक्तिधाम में आने को देखते हुए रामनगर के मुक्तिधाम में इसको स्थापित करने की मंशा से इस पर कार्य किया गया था. आज यह पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया है.


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