Vat Savitri Pujan: देश भर में सोमवार को वट सावित्री पूजा की गई. छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखा है. वट सावित्री व्रत हर साल जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन पड़ता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है.और बरगद के पेड़ के फेरे लगा कर कच्चे सूत से बरगद के पेड़ की परिक्रमा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामनाएं करती है.

 


पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल करना चाहिए.

 

कैसे करें वट सावित्री की पूजा

 

इस दिन प्रातःकाल घर की सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें. इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें. बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें.  ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें. इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें. इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें. इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें. अब सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बड़ की जड़ में पानी दें. पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें. जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें.

 

बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें. भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीष प्राप्त करें. यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं. पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें. इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण करना न भूलें.यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं.

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