Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का भिलाई नगर निगम पेयजल के नाम पर लोगों को बीमारी पिला रहा है. यह हम नहीं बल्कि खुद निगम द्वारा किया गया वाटर टेस्ट रिजल्ट बता रहा है. यह जानते हुए भी कि टेस्ट में पेयजल सैंपल फेल हो गया है तो भी निगम वही पानी लोगों को सप्लाई कर रहा है. इस भीषण गर्मी में पानी की किल्लत के चलते लोग जानते हुए भी बीमारी फैलाने वाला कीटाणु युक्त पानी पीने को मजबूर हैं.
वाटर टेस्टिंग में यहां का पानी हुआ फेल
साफ और पर्याप्त पानी सप्लाई का दावा करने वाले निगम की सच्चाई की पोल तब खुल गई जब भिलाई नगर निगम के वार्ड 38 अंतर्गत रेलवे पटरी के किनारे बसे झुग्गी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा पीने का पानी की टेस्ट कराई गई और वह टेस्ट में पूरी तरह से फेल पाया गया. वीर नारायण सिंह वार्ड के इस क्षेत्र में आज भी बोर के द्वारा पानी सप्लाई किया जाता है. यहां के लोगों से जब पानी की समस्या को लेकर बात की गई तो देखते ही देखते दर्जनों की संख्या में महिलाएं आ गईं. इन महिलाओं के हाथ में एच2एट टेस्ट वायल था. इस वायल में एकदम काला तरल पदार्थ भरा हुआ था. जब इस वायल के निर्देशों को पढ़ा गया तो चौकाने वाली सच्चाई पता चली. वायल के अंदर बोर से सप्लाई होने वाले पानी को भरा गया था जो 24 घंटे में काला हो गया. इसका मतलब यह है कि वार्ड के लोग जिस पानी को साफ पानी समझ कर पी रहे हैं. दरअसल वह बीमारी पी रहे हैं. यह पानी टेस्ट के मुताबिक जीवाणु युक्त और हानिकारक है. महिलाओं का कहना था निगम के अधिकारियों को इस टेस्ट की जानकारी दी गई, लेकिन उन्होंने इसे ठीक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
इसी गंदा पानी के लिए तो वह होती है लड़ाई
वार्ड 38 की महिलाओं से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके यहां गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है. वह भी इतना कम कि पानी के लिए कई बार झगड़ा तक होता है. वार्डवासी सीमा ने बताया कि पानी की समस्या बहुत दिनों से है. जब कम्प्लेन करते हैं तो निगम पानी को टेस्ट करता है. पानी का सैंपल इससे पहले भी फेल हो चुका है. लेकिन निगम ने उसे ठीक नहीं किया. इससे यहां के लोग खराब पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं गीता पटेल का कहना है कि मोहल्ले में पानी की काफी समस्या है. पानी आता है, लेकिन किसी को मिलता है किसी को नहीं मिलता है. पानी के लिए लड़ाई तक होती है.
निगम कराता है बोर से पानी की सप्लाई
मुराद बेगम और विषमती साहू का कहना है कि उनके मोहल्ले में बोर से पानी सप्लाई दिया जाता है. यह पानी देखने में तो साफ है. लेकिन जब निगम की टेस्ट किट से जांच की गई तो यह पानी एकदम काला और गंदा हो गया. इसे देखकर मोहल्ले के लोग काफी डरे हुए हैं. मोहल्ले में पानी की काफी समस्या है. यह सब जानते हुए भी बीमारी फैलाने वाला गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
गंदा पानी पीकर लोग हो रहे है बीमार
यहां की निवासी नसीमा बानो का कहना है कि निगम की जिम्मेदारी है कि वह साफ पानी सप्लाई करे. यहां काफी दिनों से गंदा व गुणवत्ताहीन पानी सप्लाई हो रहा है. छोटे-छोटे बच्चे इस पानी को पीकर बीमार हो रहे हैं. जल है तो जीवन है की सीख देने वाला निगम ही गंदा पानी सप्लाई कर रहा है.
पार्षद ने किया था निगम का घेराव, फिर भी नहीं हुआ समस्या का समाधान
यहां के पार्षद पीयुष मिश्रा से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि निगम के अधिकारी गंदा पानी सप्लाई की बात को जान रहे हैं. वार्ड में कई इलाकों में पानी की किल्लत है. नालियों से होकर पाइप लाइन जा रही है, उसे ठीक नहीं किया जा रहा है. लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. इन सभी समस्या को को पार्षद ने निगम आयुक्त व जोन आयुक्त के सामने रखा था. इसके बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने मोहल्ले की महिलाओं व लोगों को लेकर जोन कार्यालय का घेराव किया था. पार्षद का आरोप है कि निगम के अधिकारी ऐसा राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव के चलते कर रहे हैं. पार्षद ने इसे लेकर जल्द ही उग्र आंदोलन करने की बात भी कही है.
क्या है एच2 एस टेस्ट वायल
एच 2 एस टेस्ट वायल निगम के द्वारा मितानिन को दिया जाता है. यह एक छोटी शीशी में होता है. इसके अंदर पहले से दवा पड़ी होती है. इससे पानी की गुणवत्ता को टेस्ट किया जाता है. इससे टेस्ट करने के लिए अपने हाथों को साबुन से अच्छे से धोना होता है. इसके बाद वायल को खोलकर उसमें 20 मिली लीटर पानी को भरना होता है. पानी को 24 से 48 घंटे तक रखना होता है. यदि इस अवधि में पानी का सैंपल काला हो जाता है तो वह पानी जीवाणु युक्त यानि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
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