(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jashpur: हाथी शावक की रीढ़ की हड्डी टूटी, दो पांव में लकवा, दया मृत्यु देने की मांग
जशपुर जिले के कुनकुरी रेंज में बीते 29-30 नवम्बर को एक 5 वर्षीय हाथी शावक गड्ढे में गिर गया था जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. इसके अलावा हाथी शावक के दोनों पैर को लकवा मार गया.
Jashpur News: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में 5 साल के हाथी शावक की गड्ढे में गिरने से रीढ़ की हड्डी टूट गई है. इसके अलावा पीछे के दोनों पांव में लकवा मारने की वजह से वह कष्ट में है. अब वह कभी भी ठीक नहीं हो सकेगा. इसलिए रायपुर के एक वन्यजीव प्रेमी ने सीसीएफ (वन्य जीव) को पत्र लिखकर हाथी शावक को दया मृत्यु देने के लिए पत्र लिखा है.
अब कभी ठीक नहीं हो सकता हाथी शावक
दरअसल, जशपुर जिले के कुनकुरी रेंज में बीते 29-30 नवम्बर को एक 5 वर्षीय हाथी शावक गड्ढे में गिर गया था जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. इसके अलावा हाथी शावक के दोनों पैर को लकवा मार गया. कहा जा रहा है कि अब वह हाथी शावक कभी ठीक नहीं हो सकता इसलिए कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए रायपुर के नितिन सिंघवी ने मुख्य वन्य जीव संरक्षक सह प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को हाथी शावक को दया मृत्यु देने पत्र के लिए पत्र लिखा है.
नितिन सिंघवी ने बताया कि वन विभाग हाथी शावक के स्वास्थ्य की जानकारी छुपा रहा है, परन्तु उन्हें मिली जानकारी के अनुसार हाथी शावक की रीढ़ की हड्डी टूटने से वह अब कभी भी ठीक नहीं हो सकेगा. हाथी शावक को घाव होने लग गए हैं, जिससे शावक के शरीर में अगले दो-तीन दिनों में ही कीड़े पैदा हो जाएंगे. इससे मूक प्राणी को असहनीय दर्द होगा. कीड़े पैदा होने के बाद धीरे-धीरे सेप्टिसीमिया अर्थात रक्त विषाक्तता (ब्लड पॉइजनिंग) विकसित हो जाएगी. यह तेजी से फैलने वाला ब्लड इनफेक्शन होता है. इसके बाद शावक के शरीर के कई अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देंगे जिससे हाथी शावक की मौत तड़प-तड़प कर होगी.
संवेदनशील नहीं है वन विभाग के अधिकारी
वन्यजीव प्रेमी सिंघवी का आरोप है कि हाथी शावक को दया मृत्यु के लिए 6 नवम्बर को मुख्य वन्य जीव संरक्षक पत्र ईमेल किया गया. पत्र व्हाट्सहेप पर भी भेजा गया, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार पत्र पर अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है जो बताता है कि वन विभाग के अधिकारी कितने असंवेदनशील हैं. कुछ साल पहले भी कवर्धा में एक अन्य हाथी शावक के साथ भी ऐसा ही हुआ था. तब बाहर से भी वेटनरी डॉक्टर बुलवाए गए थे. इलाज के नाम से शावक को बहुत कष्ट दिया गया, लेकिन शावक की दर्दनाक मौत तड़प-तड़प कर हुई.
मुख्य वन्य जीव संरक्षक को है दया मृत्यु देने का अधिकार
सिंघवी ने बताया कि, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 प्रावधानित करती है कि यदि अनुसूची-1 में विनिर्दिष्ट कोई वन्यप्राणी नि:शक्त या रोगी हो, जो ठीक नहीं हो सकता तो उसे दया मृत्यु दी जा सकती है, यह अधिकार मुख्य वन्य जीव संरक्षक को प्राप्त है. हाथी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 में दर्ज वन्यजीव है.
पीपल फॉर एनिमल रायपुर का समर्थन
पीपल फॉर एनिमल रायपुर की संचालिका कस्तूरी बल्लाल ने हाथी शावक को दया मृत्यु दिए जाने के सुझाव का समर्थन किया है. उन्होंने बताया कि जब यह निश्चित हो जाता है कि वन्यजीव को बचाया नहीं जा सकेगा और वह कष्ट पूर्ण तरीके से मरेगा तो पूरे विश्व में ऐसे जीवों को यूथिनिसिया प्रोसीजर किया जाता है.