छत्तीसगढ़ के झीरम कांड (Jhiram Ghati Naxal Attack) से 8 साल बाद पर्दा उठने जा रहा है. झीरम घाटी जांच आयोग के सचिव संतोष कुमार तिवारी ने बीते शनिवार को 4 हजार 184 पेज की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है. आयोग द्वारा रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग तेज हो गई है. कांग्रेस ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने पर आपत्ति जताई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ये रिपोर्ट अधूरी है. ये गुमराह करने वाली बात है, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार आधी-अधूरी जांच से षड्यंत्रकारियों बचाना चाह रही है.


सीएम बघेल ने कहा, "आधी-अधूरी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है. केंद्र सरकार किस तथ्य को छिपाना चाहती है? गवाही के लिए कुछ लोगों को बुलाया गया, कुछ ने गवाही नहीं दी है. वे षड्यंत्र पर जांच क्यों नहीं कर रहे? क्यों नाम पूछ पूछ कर मारा गया, क्या ये राजनीतिक षड्यंत्र हैं?" उन्होंने आगे कहा कि हमने आयोग को कई बिंदुओं पर पत्र लिखा है कि नंद कुमार को सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दी गई? महेंद्र कर्मा को सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दी गई? कांग्रेस की ओर से लगातार सवाल उठाते रहे, लेकिन केंद्र सरकार जवाब ही नहीं दे रही है, ये गुमराह करने वाली बात है.


बीजेपी का पलटवार
वही, सीएम के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपना संवैधानिक रूप से गलत नहीं है. सरकार के पास तो बड़े-बड़े कानूनविद हैं. कौन से संविधान की किस धारा के अनुच्छेद के अंतर्गत राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपना गलत है हमे बता दें. उन्होने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार डर क्यों रही है? आयोग पर संदेह करना देश के कानून व्यवस्था पर संदेह करना है. संदेह कर कांग्रेस सरकार शर्मनाक काम कर रही है. ये सरकार हिटलरशाही सरकार हो गई है.


अमित जोगी की सलाह
उधर, जनता कांग्रेस के नेता अमित जोगी ने कहा कि झीरम रिपोर्ट आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा ने तैयार की है. छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय कि अगर किसी जांच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो उसे मंत्रिमंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा. उन्होंने अपनी रिपोर्ट महामहिम राज्यपाल को विधिवत सौंपी है.


गौरतलब है कि झीरम घाटी में 25 मई 2013 को कांग्रेस की ‘परिवर्तन रैली’ के दौरान नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के एक काफिले पर हमला किया था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रमुख नंद कुमार पटेल, विपक्ष के पूर्व नेता महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित 29 लोग मारे गए थे.


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