Chhattisgarh News: करोड़ों की लागत का छत्तीसगढ़ का पहला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार, जानिए क्या है खासियत
छत्तीसगढ़ का पहला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है. जगदलपुर शहर के बाली कोटा में बने इस ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण होने के साथ ही अब शहर वासियों को शुद्ध पेयजल मिल सकेगा.
Sewage Treatment Plant: छत्तीसगढ़ का पहला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है. जगदलपुर शहर के बाली कोटा में बने इस ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण होने के साथ ही अब शहर वासियों को शुद्ध पेयजल मिल सकेगा. दरअसल इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से शहर से निकलने वाला लाखों लीटर गंदा पानी प्लांट में पूरी तरह से डी सेंटर मशीन के माध्यम से साफ होगा और साफ हुए पानी को इंद्रावती नदी और ऐतिहासिक सरोवर दलपत सागर में छोड़ा जाएगा.
शुद्ध पेयजल होगा शहर वासियों को उपलब्ध
इंद्रावती नदी में साफ पानी छोड़े जाने से पहले इसे और बेहतर तरीके से निगम के द्वारा स्थापित फिल्टर प्लांट में साफ किया जाएगा. पानी को साफ करने के बाद बैक्टीरिया मुक्त शुद्ध पेयजल शहर वासियों को उपलब्ध होगा. दरअसल बीते 15 सालों से जगदलपुर शहर वासियों की ओर से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की मांग चल रही थी. इस मांग को सरकार ने माना साथ ही आपको बता दें कि जनवरी 2022 को बनकर तैयार भी हो गया. बीते 25 जनवरी 2022 को मुख्यमंत्री ने इस नवनिर्मित प्लांट का उद्घाटन किया है और अब इस प्लांट के माध्यम से शहर के घरों से निकलने वाले लाखों लीटर गंदे पानी को प्लांट के माध्यम से शुद्ध किया जा रहा है.
प्लांट के माध्यम से साफ होगा गंदा पानी
शहर से लगे बॉलिकोंटा में बनाए गए इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत 58 करोड़ है. अमृत मिशन योजना के तहत 25 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया है. दरअसल जगदलपुर शहर में लगभग 18 लाख लीटर दूषित पानी हर रोज ऐतिहासिक दलपत सागर और इंद्रावती नदी में जाकर मिलता है. इस पानी में मौजूद बैक्टिरिया, टर्बिडिटी और बढ़े हुए पीएच मान के कारण दलपत सागर और इंद्रावती नदी के पानी को प्रदूषित कर देता है. शहर के इस गंदे पानी के शुद्धिकरण के लिए लगभग 10 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के माध्यम से इसे बाली कोटा में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया गया है.
पानी को साफ करने की कुल प्रक्रिया है 180 मिनट
प्लांट में तीन चरणों में पानी के शुद्धिकरण के बाद इसे इंद्रावती नदी में छोड़ा जा रहा है. इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से हर रोज 25 लाख लीटर पानी को साफ किया जा सकता है. नगर निगम आयुक्त प्रेम कुमार पटेल ने बताया कि पानी को साफ करने की कुल 180 मिनट की प्रक्रिया है इस प्लांट के डिसेंटर मशीन के माध्यम से पानी को साफ किया जाता है. जिसके बाद क्लोरीन टैंक में क्लोरीन गैस मिलाकर कीटाणुओं को खत्म करने के बाद शुद्ध पानी को इंद्रावती नदी में छोड़ दिया जाता है, शुद्ध पानी को नदी में छोड़ देने के बाद बचा हुआ अपशिष्ट द्रव कीचड़ को पाइप लाइन के द्वारा अपकेंद्रित मशीन में लाया जाता है. अपकेंद्रित मशीन द्रव कीचड़ को ठोस कर देगा जिसका उपयोग कृषि और अन्य कार्यों में किया जा सकता है.
घरों तक पहुंचेगा शुद्ध पानी
निगम आयुक्त प्रेम कुमार पटेल ने यह भी बताया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, शहर से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध कर जीवनदायिनी इंद्रावती नदी में और दलपत सागर में छोड़ा जाएगा. इस पानी से बस्तर की दोनों प्रसिद्ध सरोवर हमेशा साफ-सुथरी रहने के साथ ही सरोवरों में जलस्तर भी हमेशा बना रहेगा. इसके अलावा शहरवासियों को भी अब और शुद्ध पेयजल मिल सकेगा.
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