Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी नया साल धूमधाम से मनाया जा रहा है. देर रात साल 2021 को अलविदा करने के बाद एक जनवरी शनिवार सुबह से ही बस्तर के पर्यटन स्थलों के साथ-साथ मंदिरों में लोगों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है. बस्तर की प्रसिद्ध और आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर में भी तड़के सुबह से ही बड़ी संख्या में दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. दरअसल मां दंतेश्वरी के प्रति बस्तरवासियों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है. 


दुर्गा का रूप मानते हैं
यही वजह है कि नए साल के पहले दिन की शुरुआत बस्तरवासी दंतेश्वरी देवी के दर्शन से ही करते हैं. मान्यता है कि मां दंतेश्वरी बस्तर की देवी हैं और मां दुर्गा का रूप हैं और यहां श्रद्धालु जो भी मनोकामना करते हैं मां उसे पूरा करती हैं. इस वजह से नए साल के पहले दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ इस मंदिर में उमड़ पड़ती है.


कई राज्यों से आते हैं लोग
बस्तर में भी नये साल का जश्न धूमधाम से मनाया जा रहा है. बस्तर के खूबसूरत पर्यटन स्थलों के साथ-साथ बस्तर के प्रसिद्ध मंदिर मां दंतेश्वरी के दर्शन के लिए भी केवल बस्तर के ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से बस्तर पहुंचे पर्यटक भी माता के दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. इस मंदिर के प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार ने बताया कि 1890 में बस्तर के तत्कालीन महाराजा अन्नमदेव ने इस मंदिर की स्थापना की थी और तब से लेकर आज तक मां दंतेश्वरी के प्रति बस्तरवासियों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है.


हर मनोकामना होती है पूरी
सैकड़ों वर्ष पुराने इस मंदिर में मां दुर्गा का रूप दंतेश्वरी की प्रतिमा स्थापित है. हर साल नवरात्रि और नए साल के पहले दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां दंतेश्वरी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि मां दंतेश्वरी से वे जो भी मनोकामना करते हैं मां उसे पूरा करती हैं. दंतेश्वरी देवी को बस्तर की कुलदेवी भी कहा जाता है.चूंकि बस्तर राजपरिवार पिछले सैकड़ों सालों से मां दंतेश्वरी की आराधना करते आया है. विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व पर दंतेश्वरी माता पर गहरी आस्था के चलते 12 से भी अधिक अद्भुत रस्म दशहरा के दौरान निभाई जाती है और जात्रा भी किया जाता है.


क्या है इतिहास
ऐसी भी मान्यता है कि मां दंतेश्वरी दुर्गा का एक रूप हैं. जब सती माता के भस्म को लेकर भगवान शिव तांडव कर रहे थे तब सती माता का एकदंत बस्तर में गिरा था और तब से इस देवी का नाम मां दंतेश्वरी पड़ा. तब से लेकर आजतक श्रद्धालु जय मां दंतेश्वरी का जयकारा लगाते हुए माता को आराध्य देवी मानते हैं. वही नए साल के पहले दिन दर्शन के लिए बस्तरवासी मंदिर पहुंचते हैं.


माता के प्रति गहरी आस्था
बस्तर वासियों का भी कहना है कि वह अपने अच्छे दिन की शुरुआत माता के दर्शन से ही करते हैं. आराध्य देवी होने की वजह से बस्तरवासियों के हर घर में मां दंतेश्वरी की तस्वीर होती है और गहरी आस्था होने की वजह से सभी शुभ कार्य माता के दर्शन से ही बस्तरवासी करते हैं. नए साल के मौके पर भी दूर दराज से लोग मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे हैं. स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा दूसरे राज्य के पर्यटक भी नव वर्ष के पहले दिन सबसे पहले मां दंतेश्वरी के दर्शन के लिए पहुंचते है.


दर्शन के बाद ही बस्तर के पर्यटन स्थलों में नए साल का जश्न मनाते हैं. गौरतलब है कि माता दंतेश्वरी का मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और यहां दशहरा के वक्त निभाए जाने वाले रस्म भी देश के अन्य धार्मिक स्थलों की अपेक्षा काफी अद्भुत हैं. दशहरा के दौरान इन अद्भुत रस्मों को देखने देश और विदेशों से पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं. वहीं हर साल बस्तरवासी नए साल और नवरात्रि पर माता के दर्शन के लिए मंदिर में उमड़ पड़ते हैं.


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