Chhattisgarh News: 'नक्सलगढ़' के छात्र की रंग लाई मेहनत,प्रोफेसर ने भरी फीस, गुरु दक्षिणा में दिया गोल्ड मेडल
Chhattisgarh News: चैतन ने बताया कि पढ़ाई के समय उसे अपनी आंखों के सामने पिता की मेहनत,चाचा का पैसा और प्रोफेसर ने जो हैसाल बढ़ाया था वो नजर आता था. इसलिए उसने पढ़ाई कर अव्वल आने की ठानी
![Chhattisgarh News: 'नक्सलगढ़' के छात्र की रंग लाई मेहनत,प्रोफेसर ने भरी फीस, गुरु दक्षिणा में दिया गोल्ड मेडल Chhattisgarh News hard work of student of Chhattishgarh professor paid fees, Student gave gold medal in Guru Dakshina ANN Chhattisgarh News: 'नक्सलगढ़' के छात्र की रंग लाई मेहनत,प्रोफेसर ने भरी फीस, गुरु दक्षिणा में दिया गोल्ड मेडल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/06/2462596a8492084c96103625b26ad341_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
बस्तर. कहते हैं कि किसी काम को करने सच्ची लगन और हिम्मत हो तो लाख चुनौतियों के बाद भी कामयाबी जरूर हासिल होती है. इस बात को नक्सलगढ़ के एक छात्र ने साबित कर दिखाया है. मजबूरी ऐसी रही कि पढ़ाई तक छोड़ने का सोच लिया, लेकिन प्रोफेसर ने मनोबाल बढ़ाया और कॉलेज की फीस भरी तो छात्र ने भी अपने गुरु का मान रख पूरे दंतेवाड़ा में टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया. शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविधायलय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने इस छात्र को गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
आर्थिक तंगी के वजह से पढ़ाई छोड़ने का लिया था फैसला
सुकमा जिले के तोंगपाल थाना क्षेत्र के अति संवेदनशील गांव चिउरवाड़ा के रहने वाले छात्र चैतन कवासी के माता-पिता किसान हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद ही दयनीय है. हालांकि परिजन इतना कमा लेते हैं कि दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त हो जाता है. चैतन ने बताया कि उसने 8वीं तक की पढ़ाई गांव के ही स्कूल में की, फिर 9वीं से 12वीं तक तोंगपाल के हाई स्कूल में पढ़ाई किया. पिता खेती-किसानी कर पढ़ाई का थोड़ा बहुत खर्च उठाते थे.जैसे-तैसे कर 12वीं तक कि पढ़ाई पूरी की. फिर सपना था कि कॉलेज जाऊं और उच्च स्तर की शिक्षा लूं. लेकिन हालात ऐसे थे कि कॉलेज में एडमिशन लेने तक पैसे नहीं थे.पढ़ाई के प्रति रुचि देखकर चाचा ने सुकमा के पड़ोसी जिले दंतेवाड़ा के पीजी कॉलेज में दाखिला करवा दिया. कॉलेज में एडमिशन के लिए फीस भी भरी. चैतन कॉलेज के हॉस्टल में रहता और रोजाना क्लास अटेंड करता. छुट्टियों में जब सारे स्टूडेंट घर जाते तो अकेला हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता था, क्योंकि, घर जाने के लिए किराए के पैसे नहीं होते थे. चैतन ने बताया कि वो माता-पिता से फोन में बात करता था,तो पिता घर की परेशानियों के बारे में बताते थे. इसलिए उसने पढ़ाई छोड़ने की ठानी और पिता के साथ खेती किसानी में साथ देने का सोचा.
प्रोफेसर ने फीस भरकर बढ़ाया हौसला
चैतन ने बताया कि उसने पढ़ाई छोड़ने की बात कॉलेज की इतिहास की प्रोफेसर शिखा सरकार को बताई थी. पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लेने पर पहले मैडम ने जमकर फटकार लगाई,फिर हौसला बढ़ाया. कॉलेज की फीस भी प्रोफेसर शिखा सरकार भरने लगीं.ग्रेजुएशन के बाद इतिहास विषय को चुना और इसी में साल 2020 में 74 फीसदी नंबर लाकर पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की.
प्रोफेसर शिखा सरकार ने बताया कि उन्होंने सिर्फ मार्गदर्शन दिया,बच्चे की मेहनत ने इसे गोल्ड मेडल दिलवाया और मुझे सबसे ज्यादा खुशी है. उन्होंने कहा कि गोल्ड मेडल हासिल करना चैतन के लिए आसान नहीं था.हर दिन 12 से 15 घंटे तक पढ़ाई करता था,जब हॉस्टल के कमरे में साथी सो जाते तो बाहर बरामदे में बैठकर पढ़ाई करता था.
अभी क्या कर रहा है चैतन?
चैतन ने बताया कि पढ़ाई के समय उसे अपनी आंखों के सामने पिता की मेहनत,चाचा का पैसा और प्रोफेसर ने जो हैसाल बढ़ाया था वो नजर आता था. इसलिए उसने पढ़ाई कर अव्वल आने की ठानी और पढ़ाई के लिए दिन-रात एक कर दिया था. चैतन अभी सेट परीक्षा की तैयारी भी कर रहा है.
जब कॉलेज की प्रोफेसर ने चैतन को बताया कि उसे दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल मिलने वाला है तो उसने सबसे पहले अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दी. पिता ने बेटे से सवाल पूछा कि ये गोल्ड मेडल क्या होता है? तो चैतन ने जवाब में इसे ईनाम बताया. चैतन ने कहा कि घर जाकर उसने सबसे पहले माता-पिता के हाथों में ये मेडल रखा और इसका महत्व बताया. उन्होंने कॉलेज की प्रोफेसर और अपने चाचा को भी मैडल दिया.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)