Bastar Leprosy Free: छत्तीसगढ़ के बस्तर में कुष्ठ रोग को जड़ से खत्म करने स्वास्थ्य विभाग अभियान चला रही है और इसके लिए जिले में 1600 लोगों की टीम तैयार की है. जो शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण अंचलों में भी घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों का इलाज करेंगे. दरअसल बस्तर में कुष्ठ रोग को जड़ से खत्म करने युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है. इसमें घर पहुंचकर मरीजों की पहचान करने से लेकर घर में ही इलाज देने तक की व्यवस्था हो  ऐसा सिस्टम तैयार किया गया है. मरीज को इलाज के नाम पर घर से बाहर ही नहीं निकलना पड़ता और जब तक उसकी यह बीमारी खत्म नहीं हो जाती तब तक यह सेवा घर पर ही मिलती रहती है.


एक वक्त था जब कुष्ठ जैसी बीमारी लोगों के लिए मुसीबत बन जाती थी. बस्तर में सुदूर और दूरस्थ इलाके होने के चलते लोग इलाज के लिए शहर तक भी नहीं पहुंच पाते थे, लेकिन अब इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है. इसके लिए बकायदा 1600 लोगों की टीम तैयार की गई है. जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर के चतुर्वेदी का कहना है कि विभाग के पास कुष्ठ रोग से पीड़ित सभी लोगों का डाटा है. बैकअप टीम जाती है स्थिति देखने. इस तरह का प्रयास प्रदेश में कुछ जगह जरूर चल रहा है, लेकिन बस्तर में यह पहला प्रयोग है.


प्रयोग को सफल बनाने की कोशिश जारी 


इससे विभाग के पास ग्रामीण और शहर के सभी कुष्ठ रोगियों की डिटेल और रिकॉर्ड तैयार हो गया है. इसमें उनकी हिस्ट्री से लेकर उनकी प्रमुख बिमारी तक शामिल है. क्योंकि कुष्ठ से लड़ाई अभी लंबी चलनी है. इसलिए आने वाले समय में यह रिकॉर्ड काफी काम आएंगे. इतना ही नहीं मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि सर्वे के बाद वार्ड के लोगों को ऐसे ही नहीं छोड़ दिया जाएगा. बल्कि जरूरत के हिसाब से वार्डों में बैकअप टीम भी भेजी जाएगी. जिससे की यह प्रयास अच्छे से सफल हो सके.


समाज को कुष्ठ मुक्त प्रयास जोरों पर 


इस स्पेशल टीम के लोग वार्ड से लेकर ग्रामीण इलाके में पारा स्तर पर काम करेंगे. इसलिए यह स्पेशल लोग वार्डों में 5 से 6 लोगों की टीम बंट जाते हैं. इनको वार्ड या पारा की जिम्मेदारी भी दे दी गई हैं. जिसमें सीनियर शिक्षक, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एक पुलिस कर्मचारी शामिल हैं. वहीं मॉनिटरिंग और सहयोग के लिए वार्ड पार्षद और सरपंच को भी कहा गया है. इस पूरी सर्वे की मॉनिटरिंग जोनल ऑफिसर को दी गयी है.


स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.के.चतुर्वेदी ने बताया कि जिले में कुष्ठ रोग के रोकथाम के लिये युद्धस्तर पर मरीजों की पहचान और त्वरित इलाज की व्यवस्था की गयी है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों में कुष्ठ की बढ़ती समस्या और उसके प्रसार को रोकना है. कुष्ठ रोग के सम्बंध में उन्होंने बताया कुष्ठ रोग के कारण प्रभावित अंगों में अक्षमता और विकृति आ जाती है. इसलिए छुपे हुए केस को जल्दी से जल्दी खोज कर और जांच उपचार कर कुष्ठ रोग का प्रसार रोका जा सकता है और समाज को कुष्ठ मुक्त कर सकते हैं.


सरकार ने उठाया रोग मुक्त का बिड़ा 


जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सी.आर. मैत्री ने बताया कि इस अभियान के दौरान 591 गांवों के कुल 1 लाख 85 हजार घरों का सर्वे होता है. वह भी एक बार नहीं बल्कि साल में कम से कम दो बार, पहले जहां लोग अपनी कुष्ठ की बीमारी को छिपाते थे.  वहीं अब जागरूकता बढ़ने लगी है और कुष्ठ के लक्षण वाले व्यक्ति अपने रोग को छुपाते नहीं, बल्कि लक्षणों के बारे में खुलकर बताते हैं. टीबी और कुष्ठ बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए भारत सरकार ने साल 2025 तक का लक्ष्य तय किया है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश को वर्ष 2024 तक इन रोगों से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है.


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