Bastar News: भारी बारिश ने मचाई तबाही, टापू बने सैकड़ों गांव, ऐसे-ऐसे जोखिम उठा रहे लोग
Chhattisgarh Rains: छत्तीसगढ़ के बस्तर समेत संभाग के अन्य छह जिलों में बारिश से बुरा हाल है. सैकड़ों गांव बारिश के पानी के कारण टापू नजर आ रहे हैं. आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग (Bastar Division) में पिछले एक सप्ताह से हो रही झमाझम बारिश (Heavy Rain) से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. बस्तर के साथ-साथ संभाग के अन्य छह जिले भी बारिश की वजह से प्रभावित हुए हैं. सभी जिलों में बाढ़ (Floods) की स्थिति बन गई है. सैकड़ों गांव टापू में तब्दील हो गए हैं और कई राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) में जलभराव हो गया है, जिससे बस्तर के तीन जिलों का संपर्क दूसरे राज्यों से टूट गया है.
बारिश की वजह से बस्तर संभाग की तीन मुख्य नदियां इंद्रावती, मिंगाचल और शबरी नदी उफान पर हैं. नदियों के आसपास के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और यहां फंसे लोगों को निकालने के लिए प्रशासन के द्वारा लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
इतने बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित निकाला गया
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बाढ़ में फंसे करीब 300 से अधिक प्रभावित लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, वहीं, जिला पुलिस बल और एसडीईआरएफ की टीम प्रभावितों को बाहर निकालने की कोशिश में दिन रात लगी हुई हैं. पूरे प्रभावित गांवों की जानकारी ली जा रही है.
बारिश के कारण सड़कें जिला मुख्यालयों से कटीं
आफत की बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही बस्तर संभाग के बीजापुर और सुकमा जिले में मचाई है. बीजापुर में रेड अलर्ट जारी किया गया है. अंदरूनी क्षेत्रों के गांव पूरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं. उफनते बरसाती नाले की वजह से कई सड़कें जिला मुख्यालय से पूरी तरह से कट गई हैं. ग्रामीणों को जरूरत के सामान नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बारिश के कारण ऐसे हो गए हैं हालात
बस्तर में आई बाढ़ से शासन को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा है, साथ ही ग्रामीणों को भी अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. कुछ दिन पहले ही राशन चावल से भरा एक ट्रक नाले में बह गया था और गरीबों को बांटे जाने वाला राशन बर्बाद हो गया था.
बीजापुर जिले में नदी के तेज बहाव में एक सीआरपीएफ का जवान बह गया था और उसकी मौत हो गई थी जबकि कडेनार गांव का एक ग्रामीण नदी में बह गया और उसका शव अब तक बरामद नहीं किया जा सका है. सुकमा जिले में आलम यह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर पांच फीट तक पानी भर गया है और एसडीईआरएफ के जवान राष्ट्रीय राजमार्ग पर नाव चलाकर प्रभावित लोगों को बचा रहे हैं. इन सड़कों पर आवागमन भी पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है, जिससे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सुकमा में ऐसे जान जोखिम में डाल रहे ग्रामीण
सुकमा जिले में बारिश के कहर से बाढ़ में फंसे ग्रामीण अपने-अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगह जाने के लिए उफनते नाले मेंबड़ी गंजी में डालकर अपने मासूम बच्चों पार करने को मजबूर हो रहे हैं. पूल नहीं बनने की वजह से ग्रामीण इस तरह नाला पार कर अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं. वहीं, अंदरूनी गांवो में फंसे ग्रामीण अपने घरों तक राशन लाने के लिए उफनते नाले के ऊपर पेड़ गिराकर अपनी जान जोखिम में डालकर काम चला रहे हैं.
उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने यह कहा
बस्तर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने निकले प्रदेश के उद्योग मंत्री और सुकमा विधायक कवासी लखमा ने कहा कि वह लगातार बस्तर संभाग के सुकमा बीजापुर और बस्तर जिले के साथ-साथ नारायणपुर और कोंडागांव जिले का भी दौरा कर रहे हैं और बाढ़ के हालातों की जानकारी ले रहे हैं,
उन्होंने कहा कि अब तक बस्तर संभाग में बाढ़ से ज्यादा जनहानि नहीं हुई है और गरीबों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. मंत्री लखमा का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बाढ़ के हालात पर नजर बनाए हुए हैं और पल-पल की जानकारी ले रहे हैं. फिलहाल बस्तर संभाग में स्थिति सामान्य होने की बात मंत्री कवासी लखमा कह रहे हैं.
खूबसूरत हुआ चित्रकोट वाटरफॉल
एक तरफ जहां मूसलाधार बारिश ने बस्तर संभाग के सभी जिलों में तबाही मचा रखी है, वहीं दूसरी तरफ विश्व प्रसिद्ध और देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट वाटरफॉल का नजारा खूबसूरत हो गया है. इंद्रावती नदी में जलस्तर बढ़ जाने की वजह से चित्रकोट वाटरफॉल अपने पूरे शबाब पर है और इसे देखने केवल बस्तर से ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी पर्यटक पहुंच रहे हैं. करीब 100 फीट ऊंचाई से गिरता चित्रकोट वाटरफॉल देश के सबसे चौड़े वाटरफॉलो में से एक है और बरसात के समय इसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं.
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