Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा हर कोशिश की जा रही है. इसी क्रम में रायपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अहम बैठक ली है. बैठक में स्वास्थ्य सचिव, डीएमई व प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के डीन, एमएस शामिल रहे. बैठक में डॉक्टरों की ड्यूटी को लेकर अहम फैसला लिया गया. अब डॉक्टरों की ड्यूटी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक रहेगी. इससे पहले सुबह 8 से 2 बजे तक ओपीडी संचालित था.


डॉक्टरों की ड्यूटी टाइम चेंज होने से मची खलबली


डॉक्टरों की ड्यूटी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक लगाए जाने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों में खलबली है, क्योंकि ओपीडी समय बदलने से कई डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर भी असर पड़ेगा. गौरतलब है कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज व संबंध जिला चिकित्सालयों में अब डॉक्टरों की ड्यूटी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक रहेगी. इस बीच एक घंटे का भी ब्रेक नहीं दिया गया है. यह फ़ैसला रायपुर में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव द्वारा बैठक में लिया गया है. बैठक के दौरान स्वास्थ्य सचिव, डीएमई व प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के डीन व एमएस शामिल रहे.


अब ओपीडी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी


डॉक्टरों की लगातार 8 घंटे की ड्यूटी लगाए जाने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों में हड़कंप मचा हुआ है. अब ओपीडी सुबह 9 से शाम 5 तक चलेगा. इससे मरीजों को इलाज की सुविधाएं मिलेंगी और डॉक्टर मरीजों के बीच पर्याप्त समय दे पाएंगे. इससे पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल का ओपीडी टाइम सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक था. 6 घंटे में कई मरीज का इलाज पूर्ण नहीं हो पाता था. दूर दराज से आए कई मरीजों को डॉक्टर नहीं मिलने पर बैरंग लौटना पड़ता था, इसलिए स्वास्थ्य व्यवस्था बढ़ाए जाने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.


वही आपको बता दें कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कई सीनियर व जूनियर डॉक्टर, निजी अस्पताल व निजी प्रैक्टिस करते है. पहले डॉक्टर दोपहर दो बजे से पहले ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल से ड्यूटी खत्म कर अपने निजी प्रैक्टिस में लग जाते थे. निजी प्रैक्टिस करने वाले ऐसे डॉक्टरों के बीच टाइमिंग को लेकर खलबली मची हुई है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के कई ऐसे डॉक्टर हैं, जो निजी प्रैक्टिस व निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं देते हैं.


पहले ओपीडी का समय सुबह 8 से 2 बजे तक था. इस बीच डॉक्टर 8 बजे ना आकर 9 से 10 बजे के बीच ड्यूटी में आते थे. वहीं समय से पहले ही अपने निजी प्रैक्टिस देने चले जाते थे. इससे मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाने पहुंचे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता था. 


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