Chhattisgarh News: चरवाहा बना विधायक, जानिए- टायर से बनी चप्पल पहनने वाले MLA की दिलचस्प कहानी
MLA Ramkumar Yadav: चंद्रपुर विधानसभा के विधायक राम कुमार यादव चरवाहे से एक विधायक बने हैं जिन्होंने ये मुकाम काफी मशक्कतों के बाद हासिल किया है.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में एक चरवाहे की विधायक बनने की कहानी काफी दिलचस्प है. जांजगीर चांपा जिले के चंद्रपुर विधानसभा के विधायक राम कुमार यादव ने ये मुकाम काफी मशक्कतों के बाद हासिल किया है. दरअसल रामकुमार यादव चंद्रपुर विधानसभा से 2018 चुनाव में राज परिवार के बीजेपी प्रत्याशी को हराकर कांग्रेस पार्टी के विधायक बने है.
लेकिन उनके विधायक बनने की कहानी बेहद खास है. इनके माता-पिता ने स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखा था और जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं था. केवल जमगहन गांव में एक मिट्टी का घर था जिसमे पूरा परिवार रहता था. घर भी ऐसा की रामकुमार को रात में सोने के लिए पड़ोसी के घर का सहारा लेना पड़ा था. दो वक्त की रोटी के लिए माता पिता को रोजाना मजदूरी करने जाना पड़ता था.
गरीबी में बीता रामकुमार का बचपन
रामकुमार की मां गर्भवती थी इसके बावजूद मजदूरी के लिए रायपुर के भांटागांव पहुंची थी. यहां आस पास के सब्जी खेत में माता- पिता रोजाना काम करते थे. इसी काम के बीच मां ने रामकुमार यादव को जन्म दिया. बचपन से ही रामकुमार गरीबी और मजबूरियों के बीच पले बढ़े है. आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी की वो स्कूल जा सके. इसलिए पंजाब में मजदूरी के काम के लिए माता पिता के साथ रामकुमार यादव पंजाब चले गए.
गांव के सभी बैल भैंस चराने की जिम्मेदारी मिली
पंजाब में लोगों के कहने पर माता पिता ने रामकुमार की बहन के घर मुक्ता गांव पढ़ाई के लिए भेज दिया. लेकिन बहन के घर की स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी की रामकुमार के स्कूल का खर्चा उठा सके. लेकिन रामकुमार ने गांव के सभी बैल भैंस गाय को चराने की जिम्मेदारी उठाई. रोज सुबह गांव के सैकड़ों पशुओं को चराने जाते थे. यही से तालाब में नहाकर सीधे स्कूल चले जाते थे. लेकिन स्कूल के मास्टर जी रामकुमार को देर से आने की सजा में क्लास से बाहर निकल देते है. पर जब शिक्षक को रामकुमार यादव के बारे में जानकारी लगी तो स्कूल के टाइमिंग पर कोई सजा नहीं मिली और जैसे तैसे कर 10 वीं तक पढ़ाई पूरी की है.
गरीबी ने बनाया रामकुमार यादव को विधायक
रामकुमार यादव बताते है कि गरीबी ने विधायक बनाया है. जिंदगी की कड़ी सच्चाई से गुजर कर इस मुकाम पर पहुंचे है. उन्होंने बताया कि बचपन में पहनने के लिए कपड़े नही होते थे. पैर में चप्पल नहीं होते थे. मां दूसरे के घर काम करने जाती थी तो लोग अपने पुराने कपड़े दान कर देते थे और चप्पल के लिए बस टायर को काटकर चप्पल बनवा कर पहनते थे. उन्होंने बताया की पहली बार जूता रायपुर में एक दोस्त ने खरीदकर दिया और बैंक खाता तो विधायक बनने के नामांकन के दौरान बनवाया गया है. इससे पहले तक कोई बैंक बैलेंस नहीं था.
मां की मौत का कारण अब पता चला
रामकुमार यादव विधायक की मां गैस की बीमारी से परेशान थी. डॉक्टरी इलाज नहीं होने के कारण मां गरीबी के साथ दर्द से लड़ाई लड़ती थी. वहीं विधायक रामकुमार के भैया भाभी जम्मू कश्मीर काम करने गए थे. लेकिन आज तक नहीं लौटे क्योंकि काम करते करते उनकी जम्मू कश्मीर में ही मौत हो चुकी थी. इसकी जानकारी परिवार को बाद में पता चली. वो अपना पेट काट कर हमें खाना खिलाती थी और खुद आधे पेट रात को पानी पीकर सो जाती थी. इसके कारण उनको गैस की बीमारी थी इलाज नहीं होने के कारण उनकी तबियत बिगड़ती चली गई और उनका निधन हो गया. पिता शराबी थे वो भी एक दिन उनको अकेले छोड़ कर इस दुनिया से चले गए.
MLA ने इसलिए नहीं की शादी
रामकुमार 44 साल के हो गए हैं लेकिन अब तक रामकुमार ने शादी नहीं की है. रामकुमार ने इसके पीछे वजह बताई है. उन्होंने कहा कि माता पिता की सेवा करना चाहता था. उनके खुशी के लिए शादी करता. लेकिन अब दोनों इस दुनिया में नहीं है तो शादी करके क्या करूं. इस लिए अब आम लोगों को परिवार मान लिया है. उनकी आखरी सांस तक सेवा करूंगा.
राजनीति में कैसे आए रामकुमार यादव
Raipur News: रामकुमार यादव बताते है कि बचपन से ही सेवा की भावना है. गांव में सड़क नहीं होने के कारण दूसरे गांव के लोग बेज्जती करते थे. इस लिए 18 साल की उम्र में गांव की सड़क बनाने का ठान लिया और जन सहयोग से गांव को पक्की सड़क तक जोड़ने के लिए कच्ची सड़क बनवाई. इसके बाद ये सिलसिला आज पास के गांव तक चला गया. इसके बाद 21 साल की उम्र में पहली बार जिला पंचायत सदस्य का चुनवा लड़ा तब प्रचार करने के लिए पैसे नहीं थे तो एक ही पोस्टर को लेकर घूमते थे. लोगों पोस्टर पढ़वाने के बाद वापस ले लेते थे. गरीबी और मेहनत को देख जनता ने चुनाव जिताया.
विधायक बनने के पहले कई बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया
कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पहले रामकुमार यादव ने दिल्ली जाकर खुद की पार्टी छत्तीसगढ़ एकता मोर्चा का पंजीयन करवाया था. इसी पार्टी के नाम से ग्रामीणों की मदद करते थे. किसानों को मुआवजा के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. आंदोलन जब बड़ा हुआ तो कांग्रेस के राहुल गांधी ने आंदोलन का समर्थन किया. इसके बाद गरीबों के जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए रायगढ़ में चक्का जाम किया तब भूपेश बघेल की नजर में आए. इसके बाद पार्टी ने 2018 विधानसभा चुनाव में प्रत्यासी बनाया और जीत भी मिली.
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