Janjgir-Champa News: ग्रीष्मकाल में जल संकट (Water Crisis) को देखते हुए नलकूप खनन पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसे अब कलेक्टर (Collector) द्वारा हटा दिया गया है. इससे किसानों के साथ आमजन को बड़ी राहत मिली है. बोर खनन की अनुमति अनिवार्य होने के कारण 5 हजार रुपए तक अधिक खर्च करना पड़ता था. प्रशासन के इस फैसले से लोगों ने राहत की सांस ली है. 


पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986, संसोधित अधिनियम 1987 की धारा 6 के प्रावधानों के तहत कलेक्टर द्वारा 28 अप्रैल को नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. नए बोर खनन के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था. इस नियम का फायदा बोर खनन में लगे लोग जमकर उठा रहे थे और एक बोर के पीछे लोगों से 5 हजार रुपए की वसूली कर रहे थे.


बोर खनन के लिए की जाती थी अवैध वसूली


जांजगीर- चांपा जिला कलेक्टर कार्यालय से 6 जून को जारी आदेश में बताया गया है कि, सक्षम अधिकारी की अनुमति से ही नलकूप खनन की अनिवार्यता समाप्त करते हुए सभी प्रयोजन के लिए बोर खनन की छूट प्रदान की जाती है. इस नियम का बोर खनन से जुड़े लोग फायदा उठाकर किसान और लोगों से अवैध वसूली करते हैं, इसकी शिकायत अधिकारियों तक पहुंचने पर आदेश में छूट समय से पहले प्रदान की गई है. 


बताया जा रहा कि गर्मी के दिनों में नए बोर खनन पर हर साल प्रतिबंध लगता है और विशेष प्रयोजन के लिए बोर खनन की अनुमति जिला प्रशासन द्वारा एसडीएम के माध्यम से दी जाती है. हालांकि बोर खनन करने वाले माफिया सामान्य बोर के लिए भी किसी तरह अनुमति हासिल कर लोगों से 5 हजार रुपए तक अधिक वसूल रहे थे.


प्रतिबंध हटने से लोगों ने ली राहत की सांस


आमतौर पर नए निर्माण की शुरूआत दिसंबर महीने के बाद होती है. नए निर्माण के लिए शुरूआती दौर में कहीं अन्यत्र से पानी की व्यवस्था की जाती है. प्रदेश के सभी जिलों में जैसे ही गर्मी बढ़ती है और जलस्तर नीचे जाता है साथ ही पानी का जलस्रोत भी सूखने लगते हैं. पानी की किल्लत को पूरी करने के लिए बोर खनन का सहारा लिया जाता है. प्राकृतकि स्रोतों को भारी नुक्सान से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा बोर खनन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. ऐसे में पानी की जरुरत को पूरा करने के लिए बोर खनन माफियाओं का सहारा लेते हैं, जिसका वे भरपूर फाएदा उठाते हैं. प्रशासन के इस फैसले से लोगों ने राहत की सांस ली है. 


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