Raipur News: छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने वादे के मुताबिक खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा कर दी है. खैरागढ़ विधानसभा के परिणाम आने के 3 घंटे के भीतर ही खैरागढ़ छुईखदान गंडई को एक नया जिला बनाने की घोषणा की गई है. इसके बाद राज्य में जिलों की संख्या 33 हो जाएगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अबतक 6 जिलों के लिए घोषणा की है.


3 घंटे में खैरागढ़ छुईखदान गंडई को जिला बनाने की घोषणा
दरअसल खैरागढ़ उपचुनाव के पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनाव जीतने के 24 घंटे के भीतर खैरागढ़ को नया जिला बनाने की वादा किया था.अब सीएम ने प्रशासनिक इकाईयों के विकेन्द्रीकरण के अपने वायदे को आगे बढ़ाते हुए शनिवार को खैरागढ़ छुईखदान गंडई को नया जिला बनाने की घोषणा की है. इससे अब खैरागढ़ छुईखदान गंडई के लोगों को सरकारी काम के लिए राजनांदगांव जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. 


साढ़े तीन साल में 6 जिले
अपको बता दें कि सत्ता की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे पहले गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को जिला बनाया. इसके बाद 15 अगस्त 2021 को राज्य में 4 नए जिलों मोहला-मानपुर-चौकी, सारंगढ़-बिलाईगढ़, महेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, सक्ती को जिला बनाए जाने की घोषणा की थी. इन चारों नए जिलों के गठन की अधिसूचना भी जारी हो चुकी है. इसके बाद 16 अप्रैल को खेरागढ़ को नया जिला बनाने के साथ साल्हेवारा को पूर्ण तहसील और जालबांधा को उप तहसील बनाए जाने का ऐलान भी किया.


पहले 125 किलोमीटर की दूरी थी जिला मुख्यालय
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के नया जिला बनने से इस क्षेत्र की जनता को अब अपने काम-काज के लिए राजनांदगांव नही जाना पड़ेगा. गौरतलब है कि खैरागढ़-छुईखदान-गंडई की दूरी राजनांदगांव से लगभग 40-90 किलोमीटर है. इस नए जिले के साल्हेवारा-बकरकट्टा के अंतिम छोर की गांव की दूरी वर्तमान जिला मुख्यालय राजनांदगांव से लगभग 125 किलोमीटर है. इन इलाकों के लोगों को शासकीय काम-काज से जिला मुख्यालय राजनांदगांव आना-जाना बेहद कठिन, खर्चीला रहा है. नया जिला बनने से लोगों को जिला मुख्यालय आना-जाना आसान होगा.


यह भी पढ़ें:


Chhattisgarh: बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस कर रही है ड्रोन का इस्तेमाल, बमबारी में मिल रही बड़ी सफलता


Khairagarh By-Election 2022: सीएम बघेल के सिर पर बैठे हैं हनुमान जी, इसलिए खैरागढ़ उपचुनाव में मिली जीत- कवासी लखमा