छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी चिराग (Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth) परियोजना का शुभारंभ कर दिया है. चिराग परियोजना के तहत किसानों की आमदनी को बढ़ाना, गांवों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना और युवाओं को विभिन्न तरह की फसलों के उत्पादन में मदद की जाएगी. इस परियोजना को विश्व बैंक ने आर्थिक मदद भी दी है. क्या है चिराग परियोजना और क्या है इसका उद्देश्य? आइये जानते हैं.


परियोजना का उद्देश्य
चिराग परियोजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना, गांवों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना, क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना, प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के कार्यप्रणाली का विकास करना है. इसके अलावा इस परियोजना के तहत कृषि क्षेत्र में विकास के नए और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा.


युवाओं को मिलेगी ट्रेनिंग
परियोजना के अंतर्गत आदिवासी इलाकों के स्थानीय युवाओं को मछली पालन, पशु-पालन, उद्यानिकी, विशेष प्रजातियों की फसलों के उत्पादन, क्षेत्रीय जलवायु आधारित पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन के कामों से जोड़ा जाएगा. साथ ही युवाओं को सेल्स और मार्केटिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा. युवाओं को अत्याधुनिक कृषि तकनीकों की शिक्षा दी जाएगी. उन्हें स्टार्टअप के लिए प्रशिक्षित और प्रोत्साहित भी किया जाएगा.


विश्व बैंक से मिली आर्थिक मदद
चिराग परियोजना को विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ की कृषि विकास के लिए स्थापित संस्था आईएफएसडी ने वित्तीय सहायदा दी है. परियोजना के लिए विश्व बैंक ने 730 करोड़ रुपये, आईएफएसडी ने 487 करोड़ दिए हैं. जबकि राज्य सरकार के कोष से 519 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.


इन जिलों में लागू होगी परियोजना
चिराग परियोजना को बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, मंगेली, बलौदाबाजार, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सुरजपुर और सरगुजा के आदिवासी विकासखंडों में लागू किया जाएगा.


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