Korba Operation Muskaan: अपने से बिछड़ने के गम का अंदाजा शायद वही लगा सकता है जिसका कोई अपना बिछड़ गया हो. जब किसी की मां, पिता, भाई, बहन, बेटी या बेटा कहीं खो जाते हैं तो उन पर क्या गुजरती होगी? लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा पुलिस कप्तान की संवेदनशीलता और पुलिसकर्मियों की मेहनत ने उन चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है जो अपनों को खोकर हर उम्मीद छोड़ चुके थे. ये सब आपरेशन मुस्कान के तहत संभव हो पाया है.
2 महीने में 124 गुम इंसान अपने घर लौटे
कोरबा पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल द्वारा गुम हुए बालिग-नाबालिग लोगों की तलाश के लिए ऑपरेशन मुस्कान के तहत विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत जनवरी और फरवरी माह में 124 गुम इंसान बरामद किए गए हैं. इनमें 20 नाबालिग बच्चे और 104 बालिग व्यक्ति शामिल हैं. गौरतलब है कि इस साल के शुरूआत से ही कोरबा एसपी भोजराम पटेल द्वारा सभी पुलिस थाना और चौकी प्रभारियों का मीटिंग लेकर स्पष्ट निर्देश दिया था कि गुम व्यक्तियों की तलाश करना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है. एसपी ने सभी थाना और चौकी प्रभारियों को ये भी साफ कहा था कि गुमे हुए नाबालिक बच्चों या वयस्क व्यक्तियों की रिपोर्ट प्राप्त होने पर तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें खोजने का प्रयास किया जाना चाहिए.
गुम इंसान को अपने घर का सदस्य समझें
आईपीएस भोजराम पटेल ने गुम इंसान के मामले में थाना चौकी प्रभारियों को संवेदनशील रहने की बात कही. उन्होंने कहा कि गुमे हुए व्यक्तियों को अपने ही परिवार का सदस्य समझना चाहिए. क्योंकि जब अपने परिवार का व्यक्ति गुम हो जाता है तो हमारे दिलों दिमाग में जिस तरह की पीड़ा और व्याकुलता उत्पन्न होती है उसी पीड़ा का अनुभव कर गुम हुए व्यक्तियों की तलाश करने से तलाश जल्द खत्म हो जाती है और पीड़ित परिवार के लोगों की मुस्कान लौट आती है. बहरहाल कोरबा पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई से जहां एक तरफ गुमे हुए 124 लोग अपने परिवार को मिल चुके हैं. वहीं ऑपरेशन मुस्कान से परिजनों के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी है. इसके अलावा एसपी ने ये दावा किया है कि कोरबा पुलिस का यह अभियान लगातार जारी रहेगा और गुम इंसान के मामलों में शत-प्रतिशत बरामदगी का प्रयास किया जा रहा है.
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