Chhattisgarh News: अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस (International Mother Language Day) 22 फरवरी से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य के सभी प्राथमिक स्कूलों (Primary schools) में बच्चों द्वारा घर पर बोले जाने वाली भाषा का संकलन कर भाषाई सर्वे (linguistic survey) किया जाएगा. सर्वे के आधार पर बच्चों को पढ़ाई के लिए नई योजना (new plan) तैयार की जाएगी.



भाषाओं के आंकड़े जुटाए जाएंगे
महाप्रबंधक समग्र शिक्षा नरेन्द्र दुग्गा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हर राज्य को भाषाई सर्वेक्षण करने का जिम्मा सौंपा गया है. छत्तीसगढ़ राज्य पूरी गंभीरता के साथ इस भाषाई सर्वेक्षण को करने के लिए तत्पर है. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के मदद से छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक कक्षाओं की भाषाई विविधता पर आंकड़े जुटा पाएंगे और भाषाई परिदृश्य की स्पष्टता के साथ समझ सकेंगे. इसके आधार पर राज्य में आगे की शिक्षा नीति और क्षमता निर्माण की रणनीति में मदद मिलेगी.


वर्तमान में बच्चे इन भाषाओं का करते है उपयोग
छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में बच्चे छत्तीसगढ़ी दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी, सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, सरगुजिया, बैगानी, माड़िया के अलावा अंतर्राज्यीय भाषाओं में उड़िया, बंगला, मराठी और तेलुगु में किताबें पढ़ रहे हैं. कक्षा पहली एवं दूसरी बच्चों के लिए स्थानीय भाषा में किताबों का प्रकाशन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किया गया है. नई शिक्षा नीति में भी मातृ भाषा एवं क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार की गई किताब में एक पेज हिन्दी का दूसरा पेज स्थानीय भाषा में तैयार किया गया है.


अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के दौरान 22 फरवरी को सभी प्राथमिक स्कूलों में भाषाई सर्वे किया जाएगा
छत्तीसगढ़ में मूलभूत साक्षरता और गणितीय कौशल विकास अभियान के तहत प्राथमिक स्कूली बच्चों के द्वारा बोली जाने वाली घर भाषा की जानकारी संकलित की जाएगी. राज्य स्तर पर सर्वे कार्य को पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश सभी प्रधान पाठकों को दिए गए हैं. सर्वे की जानकारी के आधार पर बच्चों को उनकी भाषा में अध्ययन के लिए योजना बनाने में सहयोग मिलेगा. सर्वे के पहले प्राथमिक स्कूल के प्रधान पाठकों को प्रशिक्षण देकर सर्वे के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को हिन्दी में पढ़ाया जाता है किन्तु बच्चे अपनी मातृ भाषा में बात करते हैं. इससे दूरस्थ अंचलों के बच्चों को पढ़ने में कठिनाई होती है. इस कठिनाई को दूर करने के लिए ही राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय भाषा पर आधारित द्विभाषाई पुस्तके बच्चों को प्रदान की गई है. 



स्कूल शिक्षा विभाग प्रपत्र तैयार किये
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भाषाई सर्वे के लिए बिन्दुवार प्रपत्र तैयार किया गया है. यह प्रपत्र कक्षा पहली के क्लास टीचर द्वारा भरा जाएगा. इस प्रपत्र को भरने के लिए स्कूल का यू-डाईस कोड, कक्षा में शिक्षण के माध्यम के रूप में उपयोग की जाने वाली भाषा को समझने और बोलने की विद्यार्थियों की क्षमता, कक्षा के विद्यार्थियों के घर की भाषा और विद्यार्थियों के घर की भाषा को समझने और बोलने की क्षमता पर ध्यान दिया जाएगा. प्रपत्र को भरने से पहले कक्षा के विद्यार्थियों की सूची तैयार की जाएगी जिसमें कक्षा के हर बच्चे के नाम के आगे उसकी घर की भाषा लिखी जाएगी. इस सूची को कक्षा के रजिस्टर में भी दर्ज किया जाएगा.


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