Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर सीमा से लगे बधियाचुआं, लालमाटी, गंझाडांड़, रामनगर, बासा, कोरिमा ग्राम से लगे जंगल और आबादी वाले क्षेत्र में 33 हाथियों के विचरण से ग्रामीणों में भय का माहौल तो है, लेकिन हाथियों के जंगल से बाहर निकलने के दौरान चारों ओर से ग्रामीणों द्वारा हाथियों का मार्ग अवरुद्ध कर दिए जाने से कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है. इस गंभीर हालात से निपटने अब वन विभाग ने पुलिस की मदद मांगी है और नगर पुलिस अधीक्षक स्मृतिक राजनाला के नेतृत्व में पुलिस बल भी ग्रामीणों के भीड़ को रोकने तैनात किया जा रहा है. लगभग आधा दर्जन गांव में स्थिति यह है कि शाम ढलते ही लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल हाथियों के जंगल से बाहर निकलने और उनके दूसरी ओर जाने की प्रतीक्षा देर रात तक करते हैं. 


वन विभाग द्वारा भी जंगल किनारे रहने वाले लोगों को हर दिन सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है, ताकि जनहानि न हो सके. बता दें कि अंबिकापुर संभाग मुख्यालय के निकट 33 हाथियों का दल पिछले एक हफ्ते से विचरण कर रहा है. सामान्य तौर पर शोर शराबा न होने और छेड़खानी न होने की स्थिति में हाथियों का दल अपने पारंपरिक मार्ग से अपने व्यवहार के तहत वापस भी लौट जाता है, लेकिन सिर्फ आधा दर्जन गांव के बीच बेहतर प्रबंधन की कमी के चलते यह स्थिति बन रही है कि हाथियों का दल अलग-अलग मार्गों से आगे निकलने के बाद पुनः वापस लौट जा रहा है.


मलगवांखुर्द में गंभीर हादसा टला


बुधवार शाम जब ट्रेकरों के माध्यम से वन विभाग हाथियों को जंगल से बाहर उनके पारंपरिक मार्ग में निकालने की जुगत में जुटा हुआ था. तब मलगवांखुर्द के पंचायत मार्ग में सबसे पहले दंतैल हाथी बाहर निकला. इस दौरान वन विभाग और पुलिस के जवान मलगवांखुर्द की ओर एकत्रित भीड़ को समझाईश दे पीछे हटने के साथ ही उन्हें शांत भी करा दिया था, लेकिन कोरिमा की ओर से आगे बढ़े ग्रामीणों के समूह से हाथी उत्तेजित भी हो गए. दंतैल हाथी ने मौजूद भीड़ की ओर दौड़ भी लगाई, जिसमें लोग बाल-बाल बच गए. बताया जा रहा है कि नशे की हालत में लोग हाथियों के काफी नजदीक तक पहुंच जा रहे हैं और ऐसी स्थिति में कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है.


छत पर बिता रहे रात


हाथियों के मौजूदगी वाले इन आधा दर्जन गांव में जहां-जहां भी पक्के के मकान हैं, लोग उस पक्के मकान की छत पर चढ़ जाते हैं और उनकी रात भी इसी मकान के छत पर गुजरती है. इन गांव के लोगों की यह अब दिनचर्या में शामिल हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि दिन में तो हाथी जंगल में ही रहते हैं, लेकिन जैसे ही शाम ढलती है हाथियों का झुंड भी भोजन और पानी की तलाश में जंगल से बाहर आबादी वाले क्षेत्र में पहुंच जाता है.


लोगों के सहयोग से ही हाथी लौट सकेंगे वापस


सरगुजा वनमंडलाधिकारी (DFO) टी. शेखर ने कहा है कि हाथियों को उनके पारंपरिक मार्ग से वापस लौटाने के लिए ग्रामीणों का सहयोग भी आवश्यक है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे हाथियों के जंगल से बाहर निकलने के दौरान पटाखा न फोड़ें और शोर शराबा भी न मचाएं. उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर यह देखने को मिल रहा है कि लोगों की भीड़ और शोर के चलते हाथियों का दल आगे नहीं बढ़ पा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि हाथियों के पल-पल का लोकेशन ड्रोन से लेने के साथ संभावित गांव की ओर हाथियों के मूव होने पर वहां के लोगों को वन विभाग के मैदानी अमला द्वारा अलर्ट भी किया जा रहा है.


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