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Raipur: इस कीड़े के बिना नहीं तैयार हो सकती रेशम की साड़ियां, जानिए- मलबरी सिल्क कीड़ों की खासियत
कोकून धागे की कीमत 2 हजार से लेकर 7 हजार रुपये प्रति किलो है. वहीं साड़ियों के दाम भी हजारों रुपये में ही होते हैं. फिलहाल, अभी 6 हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक साड़ियों की बिक्री की जा रही है.
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Chhattisgarh News: भारतीय पहनावे में साड़ी सबसे खास माना जाता है. इसके अलावा मान्यताओं के अनुसार कोसा से बने रेशम की साड़ियों को पूजा पाठ के लिए सबसे शुद्ध साड़ी माना जाता है. इन खूबसूरत साड़ियों को आखिर कैसे तैयार किया जाता है. इसकी कहानी भी बेहद दिलचस्प है. इस साड़ी को बनाने में सबसे अहम होता है एक कीड़ा जिसकी लाइफलाइन केवल 28 से 29 दिन होती है.
मलबरी सिल्क कीड़ों से होता है कोकून का निर्माण
दरअसल, कोकून बनाने के लिए सबसे पहले कोकून निर्माण करने वाले कीड़े की जरूरत होती है. इसका नाम मलबरी सिल्क कीड़ा है. इसकी औसत उम्र केवल 28 से 29 दिन होती है. इन कीड़ों से कोसा बनता है. वहीं इन कीड़ों का रख-रखाव बेहद खास होता है. इन कीड़ों को निर्धारित टेंपरेचर में रखा जाता है. कीड़ों के पालन करने वाले किसानों के लिए एसी और हीटर की जरूरत होती है. ये कीड़े सहतूत का पत्ता खाते रहते हैं. छत्तीसगढ़ की महिलाएं इन कीड़ों का पालन कर लाखों रुपये का मुनाफा कमा रही हैं.
कोसा के धागे 7 हजार प्रति किलो में बिकते हैं
कीड़े द्वारा तैयार किए गए कोसा से ही साड़ियों के लिए धागा निकाला जाता है. शिल्प कला के फील्ड अधिकारी संजय कुमार शर्मा ने बताया कि कोसा से धागा हमारी महिला समूह द्वारा निकाला जाता है. इसके लिए पहले कोसा को गरम पानी में उबाला जाता है फिर कोसा से मशीन के द्वारा धागा निकाला जाता है. इस धागे की कीमत 2 हजार से लेकर 7 हजार रुपये प्रति किलो है. वहीं साड़ियों के दाम भी हजारों रुपये में ही होते हैं. फिलहाल, 6 हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक साड़ियों की बिक्री की जा रही है.
कोसा से बनाई गई साड़ी महंगी क्यों होती है?
एक अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि सिल्क की साड़ी बनाने में बहुत मेहनत लगता है. इसके लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट में काम होता है. एक तो पहले आंध्रप्रदेश और बेंगलोर से कोकून का कीड़ा मंगाया जाता है. इसके बाद इन कीड़ों का भरण पोषण और कोकून की फसल ली जाती है. फिर एक लंबी प्रक्रिया के बाद धागा निकाला जाता है और साड़ी तैयार की जाती है. एक किलों कोकून के धागे से केवल 2 साड़ी ही बनती है.
महिलाओं को कितना होता है लाभ
महिला समूह हर साल दो फसल लेती हैं. मलबरी सिल्क कीड़े से कोकून तैयार होता है और इसका 100-100 कोसा का गुच्छा तैयार किया जाता है. राज्य में ऐसी कई महिला समूह हैं जो हर साल कोसा तैयार करती हैं. वहीं उनको कोसा के लिए लाखों रुपये का मुनाफा होता है. फील्ड अधिकार संजय कुमार शर्मा ने बताया कि मुंगेली की महिला समूह ने एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई की है. इसी तरह अन्य महिला समूह के लाभ का जरिया बन रहा है.
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