Bijapur news: रंग ला रही सरकार की मुहीम, 17 सालों बाद नक्सलगढ़ के इन गांवों के स्कूलों में फिर से सुनाई दी 'अ आ इ ई की गूंज'
Chhattisgarh News: नक्सली दहशत की वजह से बंद पड़े 400 से ज्यादा स्कूलों को जवानों और प्रशासन की कोशिशों की वजह इस साल फिर से खुलवाया गया है. छात्रों को पठन-पाठन सामग्री सरकार की ओर से मुफ्त दी जा रही है.
Bijapur News: करीब 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर में शिक्षा के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ सालों से प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान और प्रशासन की कोशिशों का ही नतीजा है कि इस साल नक्सली दहशत की वजह से बंद पड़े 400 से ज्यादा स्कूलों को फिर से खुलवाया गया है और बाकायदा यहां अब क्लास भी लगनी शुरू हो गयी हैं, हालांकि कुछ इलाकों में ग्रामीणों ने स्कूलों को दोबारा खोलने नहीं दिया था क्योंकि उन्हें नक्सलियों का डर सता रहा था. लेकिन अब धीरे-धीरे पुलिस और प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ने के साथ ही बाकि बंद पड़े स्कूलों को खोलने के लिए अब ग्रामीण खुद प्रशासन से मांग कर रहे हैं. बीजापुर जिले में भी ऐसे ही नक्सलगढ़ में स्थित 3 गांव हैं जहां के स्कूलों को करीब 17 साल बाद फिर से खुलवाने में जिला प्रशासन कामयाब हुआ है.
मोसला, कचिलवार और गुंडापुर में फिर से खुले स्कूल
साल 2005 के सलवा जुडूम के दौर में आतंक और दहशत की गिरफ्त में सरकार की पहुंच से दूर होकर इस इलाके के गांव और यहां के ग्रामीण मुख्यधारा से कट गए थे, लेकिन सरकार के प्रति विश्वास बढ़ाने और अंतिम छोर तक योजनाओं को पहुंचाने की नीति ने एक बार फिर नक्सल प्रभावित इलाके के ग्रामीणों के दिल जीतने में कामयाबी पाई है. इसी का कारण है कि मोसला, कचिलवार और गुंडापुर जैसे नक्सलगढ़ के स्कूलों में फिर से अ, आ, इ, ई की गूंज सुनाई देने लगी है.
फिलहाल कुटिया में संचालित हो रहे ये स्कूल
दरअसल छत्तीसगढ़ का बीजापुर जिला नक्सल प्रभावित के नजरिये से अति संवेदनशील इलाका माना जाता है और आज भी यहां के सैकड़ों गांव, सरकार और सरकारी अमले और सरकारी योजना से कोसों दूर हैं. साल 2005 में नक्सल विरोधी सलवा जुडूम अभियान के दौर में यहां दहशत और आतंक के माहौल में सैकड़ों ग्रामीणों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा, इस दौरान जिले में करीब 400 से ज्यादा स्कूले बंद हो गए और हजारों बच्चों के भविष्य पर ग्रहण लग गया.
जनता का प्रशासन पर लगातार बढ़ रहा विश्वास
अधिकारी बताते हैं कि घोर नक्सल प्रभावित गांव कहे जाने वाले मौसला, कचिलवार और गुंडापुर के लिए बीजापुर मुख्यालय से करीब 50 से 60 किलोमीटर का सफर कई बाधाओं को पार कर पहुंचना होता है, रास्ते में नक्सली दहशत और नदी नालों को पार कर पैदल चलने की चुनौती भी बाधा बनती है, फिर भी नक्सल मोर्चे पर तैनात यहां जवानों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के प्रयास से सभी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया.
प्रशासन मुफ्त मुहैया करा रहा पठन-पाठन सामग्री
फिलहाल इस क्षेत्र के तीनों गांव में करीब 17 साल बाद स्कूलों को फिर से खुलवाया गया है और मौसला गांव के स्कूल में 34 बच्चे, कचिलवार स्कूल में 32 बच्चे और गुंडापुर में 34 बच्चों का एडमिशन कराया गया है. फिलहाल इन बच्चों को एक कुटिया में शिक्षा दी जा रही है. बच्चों को कॉपी, कलम, किताब और स्कूली ड्रेस सरकार ने मुहैया कराई जा रही है. बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र कटारा का कहना है कि छात्रों की दर्ज संख्या में बढ़ोतरी के साथ और भी शिक्षक की व्यवस्था इन इलाकों में की जाएगी. कलेक्टर ने कहा कि स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को शिक्षा से जुड़ी सभी सामग्री उपलब्ध कराई गई है, फिलहाल मौजूदा व्यवस्था में यह स्कूल शुरू किया गया है, वहीं बारिश के बाद इन गांवों में पक्के स्कूल भवन भी बनाए जाएंगे.
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