Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में मौजूद संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में बनाए गए SCNU (स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट) नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस स्पेशल वार्ड में गंभीर स्थिति में लाए जा रहे नवजात शिशुओं की जान बचाई जा रही है. पिछले एक साल में 110 नवजात बच्चों की जान इस वार्ड में लगी आधुनिक मशीनों के माध्यम से बचाई गई है. इन्वेंसिस वेंटिलेटर सपोर्ट के पश्चात ठीक होने वाले शिशुओं का प्रतिशत लगभग 40% रहा है.
सरकारी अस्पताल में पहली बार मिल रही यह सुविधा
शिशु विशेषज्ञों का कहना है कि प्री- मेच्योरिटी, एक्सफेक़सिया और निमोनिया के साथ ही अन्य गंभीर स्थिति में फेफड़े काम करना बंद कर देने की स्थिति में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ती है और सबसे ज्यादा प्री-मेच्योर लोबर्थ वेट शिशुओं को दिक्कत रहती है. इस अस्पताल में प्री-मेच्योर डिलीवरी वाले बच्चों को सी-पेप मशीन से ऑक्सीजन देकर बचाया जा रहा है. ऐसे नवजातों की टूटती सांसों को वार्ड में मौजूद आधुनिक मशीनों के माध्यम से बचाया जा रहा है. बस्तर संभाग में पहली बार इस तरह का वार्ड सरकारी अस्पताल में तैयार किया गया है और इसका फायदा भी मिल रहा है.
वार्ड में लगी हैं आधुनिक मशीनें
डिमरापाल अस्पताल अधीक्षक व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप साहू ने बताया कि बस्तर सांसद दीपक बैज के द्वारा वेंटिलेटर, रेडिएंट वार्मर, सीपेप मशीन, मल्टीपैरा मॉनिटर, एक्सरे मशीन, नियोनेटल, वेंटीलेटर सर्किट स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत दिया गया था. इन मशीनों से नवजात शिशुओं के गहन इलाज में सहयोग मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंहदेव ने भी इस SCNU वार्ड के निरीक्षण के दौरान नवजात शिशुओं के बेहतर इलाज के लिए दिशा-निर्देश देते हुए इलाज की सम्पूर्ण व्यवस्था नि:शुल्क करने के आदेश दिए थे जिसके बाद से इस वार्ड में न्यूबॉर्न बेबी की स्थिति गंभीर होने पर इस वॉर्ड के माध्यम से उनका इलाज किया जा रहा है.
बीते एक साल में बचाई गई 110 लोगों की जान
बीते एक साल में 110 बच्चों की जान भी अस्पताल स्टाफ ने इन मशीनों के माध्यम से बचाई है. अनूप साहू ने बताया कि डिमरापाल अस्पताल में स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट के 36 बेड हैं, इस वॉर्ड में वेंटिलेटर सिपेप मशीन, फोटोथेरेपी, सेंट्रल ऑक्सीजन, सेंट्रल सेक्शन मल्टीपैरामीटर, रेडिएंट वार्मर और अन्य आवश्यक उपकरण और दवाइयां उपलब्ध हैं. इलाज भी पूरी तरह से नि:शुल्क है, SCNU वार्ड में 90 प्रतिशत बच्चों को मशीनों की मदद से जीवनदान मिल रहा है.
यह भी पढ़ें:
Chhattisgarh: CM भूपेश बघेल ने PM मोदी को लिखा पत्र, मिड-डे मील में मिलेट शामिल करने की मांग