Chhattisgarh Super Fighter Vehicle MVP: छत्तीसगढ़ में अब माओवादियों की खैर नहीं है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि लगातार बढ़ते नक्सली उत्पात के बीच अब देश की पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात होने वाले सुपर फाइटर व्हीकल एमवीपी को छत्तीसगढ़ में लाया गया है, जो अकेले ही नक्सलियों से लोहा लेने में काफी है. दरअसल फोर्स में एमपीवी को ऐरावत कहा जाता है, जो दुर्गम स्थानों में पहुंचने से लेकर लैंड माइंस और फायरिंग में जवानों की सुरक्षा करता है.

 

हाथी की तरह मजबूत इस गाड़ी में न सिर्फ जवान सुरक्षित रहते हैं, बल्कि वे इसके अंदर रहकर दुश्मनों पर जवाबी हमला भी कर सकते हैं. पूरे छत्तीसगढ़ में बीएसएफ की 8 बटालियन तैनात है, जो माओवादियों से लोहा ले रही है. अब इन बटालियन में एमपीवी के आने के बाद घोर नक्सल क्षेत्र में जवानों की मूवमेंट में आसानी होगी. आपको बता दें कि आर्मी से लेकर सभी पैरामिलिट्री फोर्स में इस व्हीकल का उपयोग किया जाता है.

 



 

नक्सलियों की मांद में घुसकर मारेगा ऐरावत 

 

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के माओवादी की मांद में अब सुपर फाइटर बीएसएफ का ऐरावत न सिर्फ सेंध मारेगा, बल्कि जवानों को लैंड माइंस से भी सुरक्षित करेगा. बीएसएफ के फ्रंटियर में हाल ही में 10 माइंस प्रोकेटिव व्हीकल पहुंचे हैं. बीएसएफ के जवानों की ताकत अब कई गुना अधिक बढ़ जाएगी. इसके लिए ही जबलपुर से 10 माइंस प्रोकेटिव व्हीकल मंगाई गई है. इनका नाम भगवान इंद्र के हाथी ‘ऐरावत ' के नाम पर रखा गया है. यह विशाल और इतना मजबूत है कि इस पर नक्सलियों के हमले से लैंड माइंस पर कोई असर नहीं होगा.

 

पूरी तरह से बुलेटप्रूफ है ऐरावत 

 

माइंस प्रोकेटिव व्हीकल गाड़ी पूरी तरह से बुलेटप्रूफ है और इसमें लाइट मोटर गन चलाने की भी सुविधा दी गई है. बीएसएफ के जवान ऐरावत में सवार होकर नक्सल क्षेत्रों में सुरक्षित सर्चिंग ऑपरेशन चला सकेंगे और मुठभेड़ में अंदर बैठकर ही अपने आपको सुरक्षित रखते हुए टारगेट को शूट कर सकेंगे. दुर्ग आरटीओ से रजिस्ट्रेशन के बाद यह सभी वाहन बस्तर के अबूझमाड़ से लेकर रावघाट क्षेत्र, कांकेर और अंतागढ़ क्षेत्र में भेज दिए जाएंगे.

 



 

मध्य प्रदेश में किया गया तैयार

 

मध्य प्रदेश के जबलपुर में तैयार होने वाली इन गाड़ियों की अलग ही खासियत है. इसकी पूरी बॉडी बुलेटप्रूफ है ही, साथ ही इसके शीशे भी बुलेटप्रूफ हैं. लैंड माइंस का भी इस पर असर नहीं होता. वहीं इसमें उपर की ओर लाइट मोटर गन चलाने के लिए जगह बनी हुई है. जिससे जवान खुद को सुरक्षित रखते हुए आसानी से दुश्मनों को टारगेट कर सकता है. बार्डर के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा में इन गाड़ियों का उपयोग किया जाता है. आपको बता दें कि इतने सालों में पहली बार बीएसएफ छत्तीसगढ़ के पास 10 एमपीवी आई है. दुर्ग से इसके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्हें माओवादी क्षेत्र में तैनात बीएसएफ की बटालियन और सीओबी में भेजा जाएगा.

 

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