Surajpur News: छत्तीसगढ़ में कई प्राचीन धार्मिक महत्व के स्थान है जिन्हे सरकार ने पर्यटन के नक्शे में शामिल कर लिया है. लेकिन राज्य में कुछ ऐसे भी प्राचीन जगहें हैं, जिस पर शासन प्रशासन को नजर फेरने की आवश्यकता है. दरअसल, छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में ऐतिहासिक पिलखा पहाड़ है, जिसे राम वन गमन पथ से जोड़ा जाता है. इस पहाड़ के नीचे पहाड़गांव नाम का एक गांव है. जहां एक काफी प्राचीन मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर को गोंड शासक ने बनवाया है.


गोंड शासक ने मंदिर का कराया था निर्माण


मंदिर के पीछे की ओर किला के अवशेष और एक कुआं भी मिला है. पहाड़गांव के बुजुर्ग और मंदिर के जानकार कृष्ण कुमार बताते है कि इस गांव में पहले बिलासपुर की ओर से दो भाई पीढ़ा राय और घोड़ा राय यहां आए, जो गोंड शासक थे. उसमे से एक यहीं रुक गए, जबकि दूसरे गुरुम कोला में चले गए. 1705 ईसवी यहां जो भाई रुका था उसने इस मंदिर का निर्माण करवाया. गोंड शासक ने यहां अपने रहने के लिए मंदिर के पीछे किला भी बनवाया था, जो अब टूट चुका है. इसके अलावा एक कुआं भी बनवाया था, जो अब भी है.


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मंदिर में नहीं किया गया है सीमेंट का इस्तेमाल



बता दें कि इस मंदिर में कहीं भी सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यहां पत्थरों को उकेरकर डिजाइन बनाया गया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन समय का है. मंदिर के अंदर राधा कृष्ण सहित 52 देवी देवताओं की प्रतिमा विराजमान है. जो लोगों की आस्था का केंद्र है. मंदिर में जन्माष्टमी, दशहरा और रामनवमी के मौके पर अधिक श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है.




आज भी मौजूद है कुआं, तालाब और बगीचा
पूर्व सरपंच भोला कहना है कि पूर्वज बताते थे कि यह मन्दिर 1705 ईसवी का बना हुआ है जो कि काफी प्राचीन है. यहां ढोढ़ा राय, पीढ़ी राय जो दो भाई थे, उनका महल है. अब महल गिर गया है लेकिन उसका अवशेष आज भी बचा हुआ है. ये मंदिर उन्हीं का बनाया हुआ है. उस समय का एक प्राचीन कुआं भी है, जो बहुत गहरा है. उसी के समय काल का एक तालाब और बगीचा भी है, जिसे रानी बगीचा भी कहते है. गांव स्तर पर इसे संरक्षित किया गया है.


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