Bastar News: 400 करोड़ की लागत से बना बस्तर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल 4 सालों में हुआ बदहाल, सीवेज सिस्टम फेल
बताया जा रहा है कि इस सीवेज सिस्टम को ठीक कराने में अब 8 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. अस्पताल के निर्माण में बड़े भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है.
Chhattisgarh News: देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा बस्तर संभाग (Bastar Division) के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का उद्घाटन किये केवल 4 साल हुए हैं और अभी से अस्पताल में हुए घटिया निर्माण कार्य की पोल खुलने लगी है. करीब 400 करोड़ रुपए की लागत से बना यह अस्पताल 4 साल में ही बदहाल हो गया है. अस्पताल के उद्घाटन के महज एक साल में ही वार्डों के सीलिंग उखड़ने लगे. कई वार्डों की तो छत तक गिर गई. वहीं अब इस अस्पताल के पांचवें फ्लोर में टॉयलेट का सीवेज सिस्टम (Sewage System) ब्लास्ट हो गया है, जिससे इसकी गंदगी अस्पताल की दीवारों और वार्डों में बहने लगी है. हालात ऐसे हैं कि अब इसे सुधारने के लिए फिर से 8 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे.
महज चार साल पुरानी बिल्डिंग पर दोबारा से 8 करोड़ रुपए का खर्च अस्पताल निर्माण के लिए जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों की नियत पर कई प्रश्न-चिन्ह लगा रहा है. हैरानी की बात ये है कि अस्पताल के निर्माण के लिए जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों से इतनी जल्दी सीवेज सिस्टम के खराब होने का कारण जानने के बजाय प्रशासन बजट का जुगाड़ करने में लग गया है.
बिल्डिंग के निर्माण में जमकर हुआ भ्रष्टाचार
बताया जा रहा है कि अस्पताल के वार्डों में बनी टॉयलेट की गंदगी को सेफ्टी टैंक में पहुंचाने के लिए जो पाइपलाइन लगाई गई है उसे एक ही लाइन में जोड़ दिया गया है, यही नहीं अस्पताल के निर्माण के समय टॉयलेट सीवेज सिस्टम में 9 इंच का पाइप लगाया ना जाना था लेकिन इसमें भी भारी भ्रष्टाचार करते हुए केवल 4 इंच की पाइपलाइन बिछाई गई, जिस वजह से महज चार सालों में ही टॉयलेट की पाइप लाइन पूरी तरह से चोक हो गई. हालांकि इसकी मरम्मत के नाम पर अभी तक केवल खाना पूर्ति की गई है.
मरीजों को हो रही भारी दिक्कत
वार्डों में भर्ती मरीजों को सीवेज सिस्टम ब्लास्ट होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, मरीजों का कहना है कि अस्पताल के पांचवें फ्लोर पर रहना मुश्किल हो गया है. टॉयलेट की गंदगी पूरी तरह से दीवारों की खिड़की और मरीज के वार्डों में भी पहुंच रही है. इधर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अधिकारी का कहना है कि बिल्डिंग डीएमई द्वारा नियुक्त आईसीएमआर की डिजाइन के आधार पर बनाई है, टॉयलेट पाइप चोक और अन्य परेशानियों की जानकारी उन्हें भी मिली है, जिसकी जांच कराकर नए सिरे से पूरी तरह से टॉयलेट सीवेज सिस्टम का निर्माण करवाने की बात उन्होंने कही है.
बीजेपी शासन में हुआ था अस्पताल का निर्माण
इधर बताया जा रहा है कि अस्पताल में सीवेज की पूरी पाइपलाइन अंडर ग्राउंड है और इसे ठीक करने या फिर से लगाने के लिए पूरे अस्पताल के टाइल्स को उखाड़ना होगा और दीवारों की खुदाई करनी होगी. ऐसे में कई वार्डों की दीवारों और जमीन की खुदाई की जायेगी. इस दौरान मरीजों को वार्ड से शिफ्ट करना होगा. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन के पास केवल दो विकल्प हैं या तो एक एक कर वार्डों में निर्माण करवाया जाए या फिर कुछ दिनों के लिए कुछ डिपार्टमेंट को महारानी अस्पताल में शिफ्ट किया जाए. इधर बीजेपी शासन के कार्यकाल में बने इस अस्पताल के निर्माण को लेकर शुरुआत में कांग्रेस ने भी जमकर सवाल खड़े किए, लेकिन अब सरकार आने के बाद घटिया निर्माण का यह मामला ठंडे बस्ते में चले गया है.
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