Balauda Bazar News:  छत्तीसगढ़ की पहचान से जुड़े जैतखाम की लोकप्रिय देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक है. पूरे एशिया (Asia) में सबसे बड़ा जैतखाम बलौदा बाजार जिले के गिरौधपुरी में बनाया गया है. जोकि दिल्ली (Delhi) के कुतुब मीनार से भी ऊंचा है. इस लिए इसे देखने के लिए देशभर से पर्यटक आते है. इसकी बनवाट भी इसकी विशेष खासियत है.


दरअसल जैत खाम राजधानी रायपुर से 140 किलोमिटर दूर बलौदा बाजार जिले के गिरौधपुरी में स्थति है. ये गुरु घासीदास की जनस्थली है. गिरौधपुरी में लाखो की संख्या में सैलानी हर साल आते है. हर साल मार्च के महीने में लगने वाले मेला शामिल होने बड़ी संख्या प्रदेशभर से लोग दर्शन करने आते है वहीं जैतखाम टावर पर चढ़ने के बाद पर्यटकों को करीब 8 किलोमिटर का एरिया आसानी से दिख जाता है.पेड़ पौधे के हरियाली के बीच खूबसूरत नजारा होता है.


दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा है
जैत खाम की लोकप्रिया इतनी है एशिया के सबसे बड़े जैत खाम के रूप में ख्याति प्राप्त है. दिल्ली के कुतुब मीनार से 6 फीट ऊंचा है. दरअसल कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर यानी 237 फीट वहीं जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर यानी 243 फीट है. वहीं जिस तरह ताजमहल के साथ खुद की तस्वीर लेने के ताजमहल से आधे किलोमिटर दूर जाना पड़ता है उसी तरह जैत खाम के साथ तस्वीर लेने के दूर जाना पड़ता है. इतना विशाल है जैतखाम.


जैतखाम की बनवाट अनोखा है
जैतखाम की छत पर जाने के लिए दो तरफ से दरवाजे बनाए गए हैं और दोनों तरफ 435 - 435 सीढ़ियां है.इन दोनों सीढ़ियों की विशेष बात यह है कि ये दोनों सीढियां अलग अलग है. लेकिन सीढ़ियों से अलग अलग होने के बावजूद दोनों एक दूसरे के ऊपर दिखाई देते हैं. सीढियां की बनवाट इस तरह समझ लीजिए की किसी पेड़ में सांप लिपटा हुआ है. इसी तरह सीढ़ियां दो सांप पेड़ में एक ऊपर एक लिपटे हुए दिखाई पड़ते है. इसी लिए सीढ़ियां में पर्यटक एक दूसरे को देख तो पाते है लेकिन मिला केवल छत पर ही होता है.


क्या है जैतखाम
करीब ढाई सौ साल पहले एक किसान परिवार में जन्मे घासीदास ने सतनाम पंथ की स्थापना की थी. इस पंथ में शांति, एकता और भाईचारे का संदेश दिया गया है. इसके प्रतीक के रूप में सफेद लकड़ी की पूजा की जाती है.मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कुमार प्रेमी ने बताया कि, है धर्म की पहचान के लिए एक सिंबल होता है. जिससे उसकी पहचाना की जा सकती है. उसी तरह सतनाम पंथ के लिए जैतखाम प्रतीक चिन्ह है. इसके पीछे ये मान्यता है की सतनाम पंथ में मूर्ति पूजा नहीं की जाती है,निर्गुण निराकार है. इस लिए एक लंबे खंबे का पूजा किया जाता है,जिसे जैतखाम कहा जाता है. इसके अलावा गिरौधपुरी गुरु घासीदास की जन्म और कर्म स्थली है. इसी लिए गिरौधपुरी धार्मिक और पर्यटक के क्षेत्र में लोकप्रिय है.


दिग्गज नेताओं ने किया है गिरौधपुरी का दर्शन
छत्तीसगढ़ के अबतक के तीनो मुख्यमंत्री गिरौधपुरी धाम पहुंच चुके है. वहीं देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के साथ जैतखाम के दर्शन करने पहुंचे थे. इसके अलावा कांग्रेस पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 2016 में गिरौधपुरी पहुंचे थे. इस दौरान तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल, उस समय के विधानसभा नेताप्रतिक्षप टी एस सिंहदेव भी राहुल गांधी के साथ मौजूद थे.




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