Bastar Political News: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं . इस चुनाव को लेकर बीजेपी कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल अभी से ही तैयारियों में जुट गई है. खासकर आदिवासी सीटों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेता ज्यादा फोकस कर रहे है. दरअसल आदिवासी समाज के द्वारा बस्तर संभाग के 11 विधानसभा सीटों में चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट को देखते हुए आदिवासी वोटरों को बीजेपी कांग्रेस अभी से रिझाने में जुट गई है.


हाल ही में हुए भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर कोर्राम को 23 हजार वोट मिले के बाद. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को आदिवासी क्षेत्रों में वोटरों को साधना हैं. इधर बस्तर के राजनीतिककारो का मानना है कि सर्व आदिवासी समाज अगर इस विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ लड़ता है तो बस्तर में  कांग्रेस और बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचेगा. वही 11 सीटों में से कुछ सीटों में आदिवासी समाज के प्रत्याशियों के जीतने की भी गुंजाइश है.


आदिवासी समाज उतार सकता है अपने प्रत्याशी
दरअसल छत्तीसगढ़ में  दिसंबर माह में चुनाव होने हैं. नए साल के आगमन के साथ ही छत्तीसगढ़ में नई सरकार बन जाएगी. लेकिन इससे पहले चुनाव के लिए बचे 7 से 8 महीने बीजेपी कांग्रेस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है. क्योंकि बस्तर के 12 विधानसभा सीटों में से 11 विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित है. 11 सीटों में अब आदिवासी समाज भी चुनाव लड़ने में अपनी रुचि दिखा रहा है.


भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने अपना प्रत्याशी खड़े किया और इस प्रत्याशी को 23 हजार वोट मिले. इसके बाद सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने विधानसभा चुनाव में भी अपने प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा की है. हालांकि बस्तर में आदिवासी समाज भी दो गुटों में बटा हुआ है. समाज के एक गुट के   पदाधिकारियों का कहना है कि आदिवासी समाज आने वाले चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगा.


क्योंकि समाज के लोगों का काम राजनीति करना नहीं बल्कि समाज के हितों के लिए काम करना है. वही समाज के ही दूसरे गुटों  के पदाधिकारियों का कहना है कि बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां सर्व आदिवासी समाज हमेशा से ही बीजेपी और कांग्रेस को वोट देते आ रहा है. लेकिन विकास के नाम पर आदिवासियों के साथ छलावा किया गया है, ऐसे में चुनाव में  आदिवासी समाज बस्तर के 11 विधानसभा सीटों में साथ ही प्रदेश के अन्य आदिवासी सीटों में भी अपने प्रत्याशी खड़ा कर सकता हैं, हालांकि अंतिम निर्णय चुनाव से पहले समाज के लोगो की बैठक के बाद ही लिया जाना है.


कांग्रेस का दावा 11 सीटों में दोबारा होगी जीत
गौरतलब है कि पिछले 4 विधानसभा चुनाव में बस्तर के 11 विधानसभा सीटों के आदिवासी वोटर बीजेपी, कांग्रेस को वोट देते आ रहे हैं. आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. बावजूद इसके इस चुनाव में यह कहना मुश्किल है कि आदिवासी मतदाता किसके साथ है. 2018 विधानसभा  चुनाव के मुताबिक छत्तीसगढ़ के 29 आदिवासी सीटों में से 25 सीटें कांग्रेस को मिली थी जो साल 2019 में दंतेवाड़ा और मरवाही उपचुनाव के बाद साल 2020 तक बढ़कर 27 हो गई. इनके अलावा दो आदिवासी विधायक कांग्रेस के पास ऐसे हैं जो सामान्य सीटों से जीते हैं.


ऐसे में अगर देखा जाए तो कांग्रेस आदिवासी विधायकों के मामले में ज्यादा ताकतवर है. वही बस्तर के सांसद दीपक बैज का कहना है कि कांग्रेस की सरकार आदिवासियों की सरकार है. बस्तर हो या सरगुजा. आदिवासियों के हित के लिए कांग्रेस ने साढ़े 4 साल के कार्यकाल में काफी विकास किया है. आदिवासियों को रोजगार उपलब्ध करने के साथ उनके उत्थान के लिए हर संभव प्रयास किया गया है, साथ ही आदिवासियों का विकास भी कांग्रेस सरकार ने किया है.


ऐसे में आदिवासी कांग्रेस के पक्ष में ही वोट करेंगे और वही अगर कुछ आदिवासी समाज के पदाधिकारी पार्टी से नाराज भी है तो उन्हें मना लिया जाएगा, क्योंकि आदिवासी समाज हमेशा से ही कांग्रेस पर भरोसा करते आई है. ऐसे में इस बार भी बस्तर के एक सामान्य सीट के साथ पूरे 11 आदिवासी सीटों में दोबारा कांग्रेस के प्रत्याशियों की ही जीत होगी.


बीजेपी अपनी जीत के लिए आश्वस्त
एक तरफ जहां कांग्रेस के नेता बस्तर के आदिवासी वोटर्स कांग्रेस के पक्ष में ही वोट करने का दावा कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी इस साल के चुनाव में बस्तर संभाग के पूरे के पूरे 12 सीटों में अपने जीत के लिए आश्वस्त होने की बात कह रही है. बीजेपी के प्रवक्ता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि बस्तर के आदिवासी हमेशा से ही बीजेपी के साथ हैं. हालांकि पिछले चुनाव में जरूर आदिवासियों ने कांग्रेस को मौका दिया. लेकिन साढ़े4 साल के कार्यकाल में अब तक कांग्रेस ने आदिवासियों के हितों के और उनके विकास के लिए ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया है जिससे कांग्रेस पर दोबारा विश्वास बढ़े. 


छलावा और धोखा करने से आदिवासी  वर्ग कांग्रेस से पूरी तरह से नाराज चल रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि  आदिवासी समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो समाज के लोगों को बीजेपी के प्रति भड़काने का काम कर रहे है . उन्हें चुनाव लड़ने के लिए  उकसा रहे हैं. लेकिन सर्व आदिवासी समाज से लेकर बस्तर के पूरे आदिवासी समाज बीजेपी के ही वोटर्स हैं. ऐसे में बीजेपी के पदाधिकारियों से अगर कुछ समाज के लोग नाराज भी होंगे तो उन्हें मना लिया जाएगा. फिलहाल सर्व आदिवासी समाज के द्वारा अपने प्रत्याशी उतारने का ऐसा कोई भी विचार नहीं है. बीजेपी आदिवासियों के हक और उनकी लड़ाई के लिए उनके साथ खड़ी है. इस वजह से  आने वाले चुनाव में बीजेपी को बस्तर के 11 विधानसभा सीटों के साथ सरगुजा में भी जीत मिलेगा.


बस्तर में हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
बहरहाल बीजेपी- कांग्रेस दोनों ही पार्टी आदिवासी वोटर्स को अपने वोटर्स बता रही है. लेकिन बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति कारों का मानना है कि इस साल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के साथ आदिवासी समाज भी दमखम के साथ चुनाव लड़ सकती है. ऐसे में बस्तर के 11 विधानसभा सीटों में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है.


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