छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में महिला स्वावलंबन को लेकर काफी प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार की ओर से मदद मिलने के बाद आदिवासी बहुल इलाके के ग्रामीण क्षेत्रों मे रहने वाली महिलाएं अब घरेलू काम से वक्त निकाल कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं. ये महिलाएं अपनी इच्छा शक्ति और कुछ करने के हौसले के कारण आज उन पुरुषो के लिए मिसाल बन रही हैं जो कल तक महिलाओं को ऐसे कामों के लिए सक्षम ही नहीं मानते थे. दरअसल, छत्तीसगढ़ मे पहली बार महिला समूह द्वारा सार्वधिक अंडे देने वाली मुर्गियों का पालन किया जा रहा है. इन अंडों को बेचकर महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं.


सबसे ज्यादा अंडा देने वाली प्रजाति में से एक BV-300
देश में सर्वाधिक अंडे देने वाली प्रजातियों में से एक BV-300 प्रजाति का मुर्गीपालन सरगुजा जिले के सात गोठानों में किया जा रहा है. यहां 250-250 मुर्गियों का पालन समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा आधुनिक विधि थ्री टियर केज से किया जा रहा है. एक मुर्गी प्रतिवर्ष औसतन 320 अंडे देती है. अंडों की बिक्री महिला बाल विकास को की जाती है. आंगनबाड़ियों के माध्यम से कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को उबला अंडा देकर उनकी सेहत में सुधार किया जा रहा है. इस नवाचार से आर्थिक स्वावलंबन के साथ सुपोषण को भी बढ़ावा मिल रहा है. मनरेगा के तहत मुर्गी शेड का निर्माण भी कराया गया है. 


दरअसल जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) से कुपोषण को दूर करने की योजना चल रही है. खुले बाजार से अंडा खरीदने के बजाय गोठानों से अंडा उत्पादन को बढ़ावा देकर महिला समूहों को इससे जोड़ उनकी आय में वृद्धि की योजना कलेक्टर संजीव झा ने शुरू कराई है. पशु चिकित्सक डा सीके मिश्रा के नेतृत्व में व्यंकटेश्वर हेचरी पुणे से मुर्गियां लाई गई. अंबिकापुर ब्लॉक के सोहगा, मेण्ड्राकला, लखनपुर के पुहपुटरा, उदयपुर के सरगवा, बतौली के मंगारी, मैनपाट के उड़मकेला और लुंड्रा ब्लाक के बटवाही में मुर्गीपालन कर समूह की महिलाएं आय अर्जित कर रही हैं.


एक महीने में ढाई लाख से ज्यादा के अंडे बिके
गोठानों को मल्टी एक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित करने के प्रयासों के तहत मुर्गीपालन ने रोजगार की नई राह दिखाई है. अक्टूबर महीने में औसतन 63 सौ अंडे का उत्पादन हुआ है. सात गोठान में यह आंकड़ा औसतन 44 हजार एक सौ अंडे का है. 6 रुपये प्रति अंडा की दर से एक महीने में ही लगभग दो लाख 64 हजार रुपये का अंडा बेचा जा चुका है.


सुबह-शाम सिर्फ दो घंटे का काम
जिले मे फिलहाल संचालित 14 आदर्श गौठान मे 7 मे ये केन्द्र शुरू किया गया है. जहां मुर्गी से अंडा लेने और फिर बिक्री करने का काम महिला समूह के द्वारा किया जा रहा है. खास बात है कि इन प्रत्येक केन्द्र मे समूह की औसतन 10 महिलाएं काम करती हैं. जिनमे एक एक महिला अपनी निर्धारित दिन के मुताबिक सुबह एक घंटे और शाम एक घंटे काम करती हैं. जिसमें फार्म और केज की सफाई फिर मुर्गियों को दाना देना के साथ अंडों को ट्रे मे रखना, अंडों की एंट्री करने जैसा काम शामिल है. मतलब अगर 10 महिला एक केंद्र में काम करती हैं तो महीने मे एक महिला को तीन दिन ही काम करना है. ऐसे मे ये महिलाएं बांकी के समय मे अपना घरेलू काम करके भी थोड़ा बहुत आय अर्जित कर सकती हैं.


सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया कि महिलाओं को आय उपार्जक गतिविधियों से जोड़ने गोठानों में मुर्गीपालन का प्रयोग सफल रहा है. अब इस योजना का विस्तार करेंगे. अंडा उत्पादन को बढ़ावा मिला है. सुपोषण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादित अंडों को उबालकर आंगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों, महिलाओं को भी दिया जा रहा है.


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