Raipur News: यूक्रेन से हजारों की संख्या में मेडिकल के छात्र (Medical Students) देश वापस लौट रहे है. अभी भी बड़ी संख्या में छात्र वॉर जोन में फंसे हुए है. लेकिन इसके अलावा और बड़ी समस्या ये है की यूक्रेन से पढ़ाई बीच छोड़ने वाले छात्रों की आगे की पढ़ाई का क्या होगा. इस विषय को लेकर छत्तीसगढ़ के स्वास्थय मंत्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थय मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखा है.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र
दरअसल स्वास्थय मंत्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थय मंत्री से से यूक्रेन से वापस लौटे छात्रों को देश के चिकित्सा महाविद्यालयों में निर्धारित प्रक्रिया के तहत भर्ती देने की आग्रह की है. इसके लिए मेडिकल कॉलेज में छात्रों की सीट बढ़ने का भी आग्रह किया है. इस संबंध में शुक्रवार को टी एस सिंहदेव ने पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण वहां की स्थिति अत्यन्त ही गंभीर हो चुकी है. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय मूल के छात्र क्रमबद्ध वतन वापस लौट रहे हैं. इसी क्रम में बड़ी संख्या में भारत लौट रहे छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के मेडिकल छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.




पढ़ाई छोड़कर वापस लौटे छात्रों की चिंता
वर्तमान हालात में यूक्रेन में युद्ध समाप्ति और उसके बाद हालात सामान्य होने की स्थिति अनिश्चित है. मेडिकल की शिक्षा के लिए अपनी गाढ़ी कमाई खर्च कर यूक्रेन में बच्चों का अध्ययन करा रहे माता-पिता एवं अभिभावक बच्चों के भविष्य एवं आगे की शिक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं. छात्र-छात्रायें अलग-अलग पार्ट में अध्ययनरत थे सबकी अलग-अलग स्थितियां हैं, लेकिन इस विकट परिस्थिति के कारण उन सभी छात्र-छात्राओं के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. इस लिए उन सभी छात्र-छात्राओं के बारे में हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए.


देश के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश देने का आग्रह
स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने अपना व्यक्तिगत विचार रखते हुए आगे लिखा कि मेडिकल की शिक्षा के लिए यूक्रेन जाने वाले विद्यार्थियों को यदि देश के समस्त चिकित्सा महाविद्यालयों में एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत् समायोजित किया जाता हैं तो वे सहर्ष तैयार होंगे. वर्तमान में यूक्रेन एवं अन्य देशों से मेडिकल की शिक्षा पूर्ण कर आये भारतीय छात्रों के रजिस्ट्रेशन के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का प्रावधान है. इसी तरह इसे भी विशेष प्रकरण मानते हुए प्रभावित छात्रों के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए विचार-विमर्श के बाद ऐसी पद्धति अपनायी जाये जिसमें सभी छात्रों के अध्ययनरत समयावधि को आधार मानकर स्क्रीनिंग टेस्ट के द्वारा मूल्यांकन उपरांत देश के मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त सीटें आबंटित कर उन्हें समायोजित किया जाए ताकि प्रभावित छात्रों का भविष्य सुरक्षित व सुनिश्चित हो सके.




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