Tuberculosis Free treatment in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार वर्ष 2025 तक प्रदेश को टी.बी. (Tuberculosis) (क्षय रोग) मुक्त करने के लिए राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (Health & Family Welfare) विभाग द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. टी.बी. एक संक्रामक बीमारी है, जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है. खासतौर पर यह फेफड़ों (lungs) को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है.
क्या है टी.बी बीमारी
टी.बी. माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी है. यह उन व्यक्तियों को जल्दी अपनी चपेट में ले लेता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. समय पर इसके लक्षणों की पहचान और उपचार कराकर इस रोग से बचा जा सकता है.
क्या होता है इलाज
क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वाई.के. शर्मा ने बताया कि प्रदेश में टी.बी. रोगियों की पहचान के लिए व्यापक डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया जा रहा है. इसके तहत दो करोड़ 63 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई है. जिनमें से 2300 लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं. उन्होंने बताया कि रोगियों को निर्धारित श्रेणी के अनुसार ट्रीटमेंट सपोर्टर की देखरेख में दवाई खिलाई जाती है. टी.बी. का इलाज कम से कम छह महीने का होता है. कुछ विशेष अवस्थाओं में डॉक्टर की सलाह पर टी.बी. का इलाज छह महीने से अधिक तक चलाया जा सकता है. टी.बी. के उपचार के दौरान कई मरीज कुछ स्वस्थ होने के बाद दवाई का सेवन बंद कर देते हैं. जिससे यह रोग और विकराल रूप ले सकता है.
इलाज की क्या है व्यवस्था
छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में टी.बी. के इलाज के लिए अच्छी गुणवत्ता की दवाईयां उपलब्ध हैं. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच, इलाज और दवाई उपलब्ध है. प्रदेश में टी.बी. के सभी पंजीकृत मरीजों को क्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण आहार के लिए प्रति माह 500 रूपए की राशि दी जाती है. डॉट सेंटर्स या डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से टी.बी. से पीड़ित मरीजों को घर के पास या घर पर ही दवाई उपलब्ध कराई जा रही है.
क्या हैं प्रमुख लक्षण
टी.बी. के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी होना, खांसी के साथ बलगम आना, कभी−कभी थूक से खून आना, वजन का कम होना, भूख में कमी होना, सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत तथा शाम या रात के समय बुखार आना जैसे लक्षण शामिल हैं.
कैसे होता है टीबी
टी.बी. के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं. किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकते या थूकते समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं. इनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं. एक मरीज 15-20 लोगों को संक्रमित कर सकता है.
कैसे करें बचाव
टी.बी. से बचाव के लिए जन्म के एक वर्ष के भीतर शिशु को बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए. टी.बी. की दवाई को बिना डॉक्टरी सलाह के बंद न करें. खांसते व छींकते समय मुंह को ढंक कर रखें. आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
क्या मिला है प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़ राज्य के कई जिलों में टी.बी. का पूर्ण उपचार प्राप्त कर ठीक हो चुके लोगों को टी.बी. के उन्मूलन के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. ऐसे व्यक्तियों को टी.बी. मितान या टी.बी. चैंपियन के रूप में सम्मानित किया जाता है. टी.बी. से पूरी तरह ठीक हो चुके ऐसे लोग टी.बी. नियंत्रण कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के साथ मरीजों को भावनात्मक एवं सामाजिक सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-
UP Election 2022: छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने भदोही में की जनसभा, CM Yogi के लिए कही ये बात
Maharashtra: 100 करोड़ की वसूली मामले में Anil Deshmukh का बयान दर्ज करने आर्थर रोड जेल पहुंची CBI